मत्ती 15 - गढवली नयो नियमपरम्परा अर आज्ञा उल्लंघन कु प्रश्न ( मरक 7:1-23 ) 1 तब यरूशलेम शहर बट्टी फरीसियों अर मूसा की व्यवस्था तैं सिखांण वला यीशु मा ऐ के बुल्ण लगि गैनी। 2 तेरा चेला पुरखों कि रीति रिवाज पर किलै नि चलदिन अर बगैर हथ धुयां अर अशुद्ध हथ रुट्टि खंदींनि? 3 यीशु ल ऊं तैं जवाब दींनि “कि तुम भि अपड़ी रीति-रिवाजों का कारण परमेश्वर की आज्ञा किलै टालि दींदां” 4 किलैकि परमेश्वर ल बोलि छो कि अपड़ा बुबा अर अपड़ी ब्वे कु आदर करयां अर जु क्वे ब्वे या बुबा खुणे बुरो बुललो उ मरै जौ। 5 पर तुम बोलद्यां कि जु क्वे अपड़ा बुबा या ब्वे कु बुललो कि जु कुछ तुम तैं मि बट्टी फैदा हवे सकदु छो उ परमेश्वर तैं चढ़ै गै। 6 त वे तैं अपड़ा ब्वे-बुबा की सेवा कने कुई जरूरत नि रौंदी इन कैरी के तुम अपड़ी रीतियों ल मूसा द्वारा लिखीं परमेश्वर की व्यवस्था तैं टाली दींदां। 7 यीशु ल ऊंमा बोलि, “हे कपटि लुखुं यशायाह जु परमेश्वर का तरपां बट्टी बुल्दो छो वेल तुमारा बारा मा या भविष्यवाणी ठिक कैरी।” 8 यु लोग ओंठु ल त मेरू आदर करदींनि पर यूंकु मन मि से दूर रौंदु। 9 यु लोग बेकार मा ही मेरी आराधना करदींनि किलैकि यु मनिख्युं कि रीत तैं इन सिखौदिनि जन कि परमेश्वर कि आज्ञा हूंनु। अशुद्ध कन वली बात 10 फिर यीशु ल लुखुं तैं अपड़ा संमणी बुलै के ऊंमा बोलि, “तुम सभि मेरी बातों तैं सूंणा अर समझा।” 11 इन कुई बात नि च जु मनिख्युं तैं भैर बट्टी समैके वे तैं अशुद्ध कैर पर जु चीज मनिख्युं का भितर बट्टी निकलदींनि उ ही वे तैं अशुद्ध करदींनि। 12 तब चेलों ल ऐ के यीशु मा बोलि, “क्य तु जंणदी छै कि फरीसियों ल यु वचन सूंणि के ठोकर खै” 13 वेल जवाब दींनि “हरेक व डाली ज्वा मेरा स्वर्गीय बुबा ल नि लगै व उखाड़े जालि।” 14 ऊं तैं जांण द्या उ अंधा बट्टो का बतौंण वला छिन अर जु अंधा तैं बट्टो दिखालो त द्वी गड्डा मा पड़ि जाला। 15 यु सूंणि के पतरस ल वेमा बोलि, “ई मिसाल हम तैं समझै दे।” 16 यीशु ल ऊंमा बोलि, “क्य तुम भि इन न समझ छा?” 17 क्य तुम नि समझदां कि जु कुछ गिच्चा मा जांदु उ पुटगा मा जांदु अर सुबेर संडास मा निकली जांदी। 18 पर “यु बुरी सोच ही छिनी जु कै मनिख्युं का दिमाक बट्टी निकलदी जु वे तैं अपवित्र करदी।” 19 किलैकि बुरा विचार, हत्या, परस्त्रीगमन, व्यभिचार, चोरी झूठी गव्है, अर बुरा मन बट्टी ही निकलदींनि। 20 यु उ ही छिनी जु मनिख तैं अशुद्ध करदींनि पर बगैर हथ धुयां खांणु खांण मनिख तैं अशुद्ध नि करदो। कनानी जाति की जनन कु विश्वास ( मरक 7:24-30 ) 21 यीशु उख बट्टी निकली के सूर अर सीदोन का शहर मा चलि गै। 22 वे प्रदेश मा एक कनानी जाति कि एक जनन छै व चिल्लै कै बुल्ण लगि गै, “हे प्रभु दाऊद कि सन्तान मि पर दया कैर मेरी नौंनि तैं दुष्टात्मा भौत सतौंणी च।” 23 पर वेल वीं तैं कुछ जवाब नि दींनि तब वेका चेलों ल ऐ के वे बट्टी बिनती कैरी कि “ईं तैं विदा कैर किलैकि व हमारा पिछनैं चिलौन्दी आंणि च।” 24 वेल जवाब दींनि, “इस्राएल का लुखुं का घराना कि हरचिं ढिबरा तैं छोड़ी के मि और कै मा नि भिजे ग्यों।” 25 पर उ यीशु का संमणी ऐ के अर यीशु तैं प्रणाम कैरी के बुल्ण लगि गै “हे प्रभु मेरी मदद कैर।” 26 वेल जवाब दींनि, “नौंनो कि रुट्टि ले के कुकरों का अगनैं डलण ठिक नि च।” 27 वीं ल बोलि, “हां प्रभु सच च प्रभु तब भि कुकुर भि त वे छोड़य्यां तैं खंदींनि जु ऊंका स्वामि कु जूठो हूंदों।” 28 ईं बात पर यीशु ल वीं तैं जवाब दींनि “हे नौंनि तेरु विश्वास भौत बड़ो च जन तु चाँदि छै उन ही त्वे कु हवे जौं” अर वीं कि नौंनि वीं घड़ी खूब हवे गै। अनेक रोगियों तैं खूब कन 29 यीशु उख बट्टी गलील जिला कि झील का संमणी ऐ अर डांडा पर चढ़ी के बैठी गै। 30 तब भीड़ कि भीड़ वेका संमणी ऐ उ अफ दगड़ी लंगड़ों, अंधों, गूंगो तैं अर डूंडो तैं अर भौतों तैं वेमा लैनि अर ऊं तैं यीशु का खुट्टा मा डाली दींनि अर यीशु ल ऊं तैं खूब कैरी। 31 जब लुखुं ल देखि कि गूंगा बुल्णा छिनी अर लूला-लंगड़ा खूब हवे के हिटणां छिनी अर अंधा दिखणा छिनी त भैंचक मा पोड़ि के इस्राएल का लुखुं का परमेश्वर कि बड़ै कन लगि गैनी। चार हजार लुखुं तैं खिलांण ( मरक 8:1-10 ) 32 यीशु ल अपड़ा चेलों तैं अफ मा बुलै अर बोलि, “मि तैं ईं भीड़ पर दया औणि च किलैकि यु लोग तीन दिन बट्टी बराबर मि दगड़ी छिन अर अब ऊंमा खांण कु भि कुछ नि च, जु मि ऊं तैं भुखी ऊंका घौर भेजि दयुलु त उ बट्टा मा थकि के उखि रै जाला।” 33 चेलों ल यीशु मा बोलि, “हम तैं यु जंगल मा इथग रुट्टि कख बट्टी मिलण कि हम इथग बड़ी भीड़ तृप्त हवे जौनु।” 34 यीशु ल ऊंमा पूछि, तुम मा कथग रुट्टि छिन ऊंल बोलि, “हम मा सात रुट्टि अर जरा सी माछा छिन।” 35 तब यीशु ल लुखुं तैं धरती पर बैठणैं कि आज्ञा दींनि। 36 अर ऊं सात रुट्टि अर माछों तैं अपड़ा हथ मा लींनि अर परमेश्वर कु धन्यवाद कैरी कै तोड़ी अर अपड़ा चेलों तैं दींनि अर ऊंल लुखुं का अगनैं परोसि दींनि। 37 त इन कै सभि लुखुं खै के तृप्त हवे गैनी अर चेलों ल बचयां टुकड़ों ल भुरयां सात ठुपरा उठैनि। 38 खांण वला जनन अर बच्चों तैं छोड़ी के चार हजार आदिम छा। 39 तब यीशु ल भीड़ तैं विदा कैरी के नाव मा चढ़ी के अर मगदन नौं का मुल्क का क्षेत्र मा ऐ। |
Garhwali New Testament(गढवली नयो नियम), 2020 by The Love Fellowship is licensed under a Creative Commons Attribution-ShareAlike 4.0 International License.