इब्रानी 11 - गढवली नयो नियमविश्वास का नायक 1 जु लोग पिता परमेश्वर पर विश्वास करदींनि ऊं तैं यकीन च कि परमेश्वर ऊं तैं उ सभि कुछ दयालो ज्यांकी उ आस करदींनि; अर यु निश्चित च कि जूं चीजों तैं उ अभि तक नि दिखदींनि उ हकीकत मा छिनी। 2 हमारा पुरणा इन ही विश्वास करदा छा; इलै ही पिता परमेश्वर ऊं बट्टी खुश छो। 3 विश्वास ही ल हम जणदां, कि सैरी दुनिया की रचना पिता परमेश्वर का वचन का द्वारा हवे; इलै हम जु भि दिखदा उ वीं चीजों बट्टी नि बणयूं जौं तैं दिखै नि जै सकद। 4 विश्वास ही का कारण आदम का नौंना हाबिल ल अपड़ा बड़ा भैय कैन से बढ़िया बलिदान पिता परमेश्वर कु चढै; अर वीं भेट का द्वारा पिता परमेश्वर ल हाबिल तैं एक धर्मी का रूप मा स्वीकार कैरी; पिता परमेश्वर वेका बलिदान बट्टी खुश छो, हाबिल अपड़ी मौत का बाद भि, हम तैं सिखै गै कि विश्वास कन हूंण चयणु च। 5 हनोक नौं का आदिम का विश्वास का द्वारा पिता परमेश्वर वे तैं ज्यूँदो स्वर्ग मा ली गैनी; किलैकि विश्वास का द्वारा परमेश्वर ल वे तैं स्वर्ग मा उठै अर स्वर्ग मा ली जांण से पैली हनोक ल पिता परमेश्वर तैं खुश कैरी, जन कि परमेश्वर का वचन मा लिख्युं च। 6 अर पिता परमेश्वर पर विश्वास कैरी के ही हम वे तैं खुश कैरी सकदा, किलैकि पिता परमेश्वर का संमणी आंण वला तैं वे पर विश्वास कन चयणु च, कि उ छै च; अर उ जु वे तैं सचै का दगड़ी खुजदींनि, उ, ऊं तैं ऊंको प्रतिफल दयालो। 7 विश्वास ही ल नूह नौं का आदिम ल जब वे तैं एक बाड़ का बारा मा पिता परमेश्वर ल चेतावनी द्ये जु वेल कभी नि देखि छै, त वेल पवित्र डौर का दगड़ी अपड़ा परिवार का बचाव अर उद्धार कु पांणी कु जहाज बणै, अर नूह का विश्वास से पैली, बकि दुनिया का लोग जु विश्वास नि करदा छा, ऊंल वेकी निंदा कैरी अर ऊं तैं भंगारी ठैरगे; किलैकि नूह ल पिता परमेश्वर पर भरोसा कैरी, इलै पिता परमेश्वर ल वे तैं धर्मी ठैरे। 8 विश्वास बट्टी ही अब्राहम ही जब पिता परमेश्वर ल वे तैं एक जगह पर जांणु कु बुलै त वेल आज्ञा मांणी अर पिता परमेश्वर ल वे तैं व जगह विरासत का रूप मा दींण वलो छो, अर परमेश्वर ल वे तैं नि बतै कि वे तैं कख जांण; फिर भि उ वीं जगह चलि गै। 9 वे देश मा जै की जैकी सौं पिता परमेश्वर ल खै छै, अब्राहम एक अजनबी का जन डेरों मा रौंदो छो; वे दगड़ी, वेको नौंनो इसहाक अर नाति याकूब भि डेरों मा रौंदो छा, जौं तैं पिता परमेश्वर की तरपां बट्टी करार मिली छै। 10 किलैकि उ स्वर्ग मा एक इन शहर मा रौंणो कु जग्वाल करदा छा जै की बुनियाद मजबूत छै, अर जैको रचणवलो अर बनांण वलो पिता परमेश्वर च। 11 विश्वास ल ही सारा ल अपड़ी बुढ़या अवस्था मा हूंण पर भि गर्भ धारण कने की सामर्थ पै; किलैकि वीं तैं विश्वास छो कि पिता परमेश्वर उ ही करलो जैको पिता परमेश्वर ल करार कैरी छै। 12 इलै जब अब्राहम संतान तैं पैदा कनु कु भौत बूढ़या छो, फिर भि वेका आसमान का गैणा अर समुन्द्र का छाला का बल्ला का जन गिणै नि जै सकण वला वंश वे बट्टी पैदा हवीनि। 13 यु सभि लोग जौ ल पिता परमेश्वर पर विश्वास कैरी, वीं चीज तैं बगैर पयां ही मोरि गैनी, ज्यांको वादा पिता परमेश्वर ल कैरी; पर ऊं तैं दूर बट्टी देखि के खुश हवीनि अर मांणी भि लींनि, अर ईं बात तैं समझी गैनी कि पिता परमेश्वर ल भविष्य मा क्य कन अर ईं बात तैं समझी गैनी कि हम ईं धरती पर अजनबी अर परदेशी छा। 14 जु इन बात बुल्दींनि, उ दिखौंदींनि, कि उ एक इन देश तैं पाला अर वेकी आस कना छिनी जु ऊंको होलो। 15 जु उ वे देश का बारा मा सुचदा जै बट्टी उ ऐ छा त उ वापिस जै सकद छा। 16 पर उ एक बढ़िया मतलब स्वर्ग की जांणै की इच्छा च, इलै पिता परमेश्वर तैं ऊंको परमेश्वर कहलांण मा गर्व छो, किलैकि पिता परमेश्वर ल ऊंकु एक नगर तैयार कैरी। 17 विश्वास ही बट्टी अब्राहम ल इसहाक तैं एक बलिदान का रूप मा चढ़ै, जब पिता परमेश्वर वेकी अजमैश लींणु छो, चाहे अब्राहम तैं पिता परमेश्वर का तरपां बट्टी या करार मिली छै, फिर भि उ अपड़ा एकलौता नौंना तैं बलिदान चढ़ौणु कु तैयार छो, जु पिता परमेश्वर का करार तैं पूरो कैरी सकद छो। 18 पिता परमेश्वर ल वे बट्टी बोलि, “इसहाक उ नौंनो च जैका द्वारा तेरु वंशज गिणै जाला।” 19 अब्राहम ल सोचि कि जु इसहाक मोरि जौं तब भि, फिर भि पिता परमेश्वर वे तैं फिर से ज्यूँदो कन मा सामर्थी च; अर ये भाव मा अब्राहम ल सच मा अपड़ा नौंना तैं मौत बट्टी भि वापिस पै। 20 विश्वास ही बट्टी इसहाक ल अपड़ा द्वी नौंना याकूब अर एसाव तैं वादा किये गै बातों मा आशीष द्ये। 21 विश्वास ही बट्टी याकूब ल मुरण बगत यूसुफ का द्वी नौंनो मा बट्टी एक-एक तैं आशीष द्ये, अर अपड़ा डंडा का सहारा झुकि के वेल पिता परमेश्वर की आराधना कैरी। 22 विश्वास ही बट्टी यूसुफ ल, जब उ मुरण वलो छो, विश्वास का दगड़ी बोलि, कि इस्राएल का लोग मिस्र शहर बट्टी निकलला, अर इख तक कि वेल ऊं तैं आज्ञा द्ये कि जब उ मिस्र देश बट्टी जां तब त वेका हड्डकों तैं भि अफ दगड़ी कनान देश मा ली जां। 23 फिर जब मिस्र का राजा ल य आज्ञा द्ये कि जन्म हूंद ही सैरा इस्राएली नौंनो तैं मारि दींण चयणु च, तब भि विश्वास का कारण ही मूसा का ब्वे-बुबा ल वे तैं, पैदा हूंणा का बाद तीन मैना तक छिपै के रखि; किलैकि ऊंल देखि, कि मूसा साधारण नौंनो नि च, अर उ राजा की आज्ञाओं कु उल्लंघन कन से नि डरिनि। 24 मिस्र देश का राजा फिरौन की नौंनि ल मूसा तैं पालि छो; जब मूसा बड़ो हवे, त विश्वास ही बट्टी वेल नि चै कि लोग वे तैं राजकुमारी कु नौंनो बोला। 25 यु इलै हवे कि मूसा ल जरा बगत कु पाप का सुख कु आनन्द लींणा का बजाय पिता परमेश्वर का लुखुं का दगड़ी दुख भुकतण अच्छो समझी। 26 मूसा जंणदु छो कि मिस्र देश का भण्डार की तुलना मा मसीह कु दुख भुकतण बढ़िया च, किलैकि इन कन से पिता परमेश्वर वे तैं स्वर्ग मा ईनाम दयालो। 27 विश्वास बट्टी ही राजा का गुस्सा बट्टी नि डैरी के वेल मिस्र देश तैं छुड़ण मा इस्राएली लुखुं की अगवै कैरी, किलैकि उ समझी गै छो कि यु मांणा इन च जन वेल पिता परमेश्वर तैं देखि, जु अदृश च। 28 विश्वास बट्टी ही मूसा ल इस्राएली लुखुं तैं द्वार का मोर-संगाड पर चिनखो कु ल्वे लगांण कु अर फसह कु त्यौहार मनांणै की आज्ञा द्ये, कि पैली संतान तैं नाश कन वलो दूत, इस्राएल की पैली संतान तैं छवे भि नि साकी। 29 विश्वास बट्टी ही इस्राएल का लोग लाल समुद्र का पार इन उतरी के ऐनी, जन सूखी धरती पर; अर जब मिस्रियों ल भि उन ही कन चै, त उ सभि डूबी के मोरि गैनी किलैकि समुन्द्र की लहरों ल ऊं तैं बुगै दींनि। 30 किलैकि इस्राएल का लुखुं ल पिता परमेश्वर पर विश्वास कैरी, इलै उ सात दिनों तक यरीहो शहर की दीवार का चौतरफी घुमिनि; अर तब दीवार गिरी गै। 31 विश्वास बट्टी ही राहाब वेश्या पिता परमेश्वर की आज्ञा कु उल्लंघन कन वलो का दगड़ी नाश नि हवे; किलैकि वीं शान्ति का दगड़ी ऊं इस्राएली गुप्तचरों कु स्वागत कैरी जु छिपी के यरीहो शहर कु भेद लींणु कु ऐ छा। 32 मि तैं और कुछ भि बुल्ण की कुई जरूरत नि च; जु मि इन लुखुं का विश्वास का बारा मा भि बात कन लगु जन गिदोन, बाराक, शिमशोन, यिफतह की, अर राजा दाऊद की अर पिता परमेश्वर का तरपां बट्टी बुल्ण वला शमूएल जन, त मि मा बगत नि रालो। 33 ऊंल विश्वास ही का द्वारा राज्य जीतिनि; अर ठिक काम करीनि; वादा की चीजों तैं पै, शेरों ल ऊं तैं नि खै, 34 आग ल ऊं तैं नि फूंकी; तलवार ल ऊं तैं नि काटि, एक बार कमजोर हूंणा का बाद फिर ऊं तैं सामर्थशाली बणै गै; लड़ै कनु कु वीर पुरुष गैनी; अर ऊंल अपड़ी दुश्मनों की फौज तैं दूर तक भगै दींनि। 35 कुछ जननों ल अपड़ा मुरयां लुखुं तैं फिर से ज्यून्दो पै; कथग ही त मार खांदी-खांदी मोरि गैनी; अर उ अपड़ो विश्वास नि छुड़ण चांदा छा कि उ कैद बट्टी आजाद हवे जां; इलै मोरि के भि फिर से ज्यून्दा हूंणा का बाद उ एक भौत अच्छो जीवन पै साका। 36 कुछ लुखुं ल उपहास अर कोड़ों कु सामना कैरी जबकि कुछ लुखुं तैं जंजीरों ल जकड़ी कै जेल मा डलै गै। 37 ऊंमा बट्टी कुछ विश्वासियों तैं ढुगलयो कैरी के मरै गै; अर कुछों तैं द्वी हिस्सों मा कटे गै, ऊं तैं तलवार ल मौत का घाट उतारे गै। उ गरीब छा, ऊं तैं सतै गै अर ऊं दगड़ी बुरो बरतौ किये गै; उ ढिबरो-बखरों की खालो तैं ओढ़ी के इने-उनै भटकदी रैनी। 38 अर जंगलों, अर डांडों, अर उडयारों मा, अर पौड़ों की दरारों मा भटकदी रैनी; य बुरी दुनिया यूं विश्वासियों का लैक नि छै। 39 विश्वास बट्टी ही यूं सभियूं का बारा मा पिता परमेश्वर ल ऊं की तारीफ कैरी, तब भि उ ऊं तैं नि मिली ज्यांको वादा पिता परमेश्वर ल ऊं दगड़ी कैरी छो। 40 किलैकि पिता परमेश्वर मा भस ऊंकु, बल्कि हम कु भि एक बढ़िया योजना च; पिता परमेश्वर ऊं तैं भस हम दगड़ी मिल के ही सिद्ध बनांण चांद। |
Garhwali New Testament(गढवली नयो नियम), 2020 by The Love Fellowship is licensed under a Creative Commons Attribution-ShareAlike 4.0 International License.