2 कुरिन्थि 7 - गढवली नयो नियम1 हे प्रियों, किलैकि पिता परमेश्वर ल हम तैं अपड़ा बच्चों का रूप मा स्वीकार कनु कु यु वादा कैरी, त आवा, हम अपड़ा आप तैं ऊं सभि बुरी चीजों बट्टी दूर कैरा, अर सभि रीति रिवाजों बट्टी बचा, अर पिता परमेश्वर की डौर मांणी कै आदर करां अर आवा हम पूरा ढंग से पवित्र हूंणु कु काम कैरा। आनन्द अर पछतौ 2 हम तैं अपड़ा दिल से प्रेम कैरा; हम ल न कै बट्टी अन्यो कैरी, न कै तैं बिगाड़ी, अर न कै तैं ठगी। 3 मि तुम तैं भंगारी ठैरांणु कु यु नि बुल्णु छो, किलैकि मिल पैली ही बोललि छो, कि हम तुम तैं अपड़ा दिल से प्यार करदा कि हम अलग नि होला चाहे हम ज्यून्दा रां या मोरि भि जां। 4 मि तुम बट्टी भौत विश्वास से बुल्णु छो, मि तैं तुम पर बड़ो गर्व च; मि भौत प्रोत्साहित छो; अपड़ा सैरा क्लेश मा मि आनन्द से भौत भरपूर रौंदु। 5 किलैकि जब मिल त्रोआस शहर छोड़ी अर इख मकिदुनिया प्रान्त मा ओ, तब भि हम तैं बिल्कुल भि आराम नि छो; पर हम हर तरपां बट्टी परेशानियां झिलणां छा; अर हर जगह लड़ै ही लड़ै छै, हमारा मनों मा डौर छै। 6 तब भि उदास लुखुं तैं तसल्ली दींणवला पिता परमेश्वर ल तीतुस का आंण से हम तैं शान्ति दींनि। 7 अर न भस वेका आंण से पर वेकी वीं शान्ति बट्टी भि, जु तीतुस तैं तुम्हरी तरपां बट्टी मिली छै; अर वेल तुम्हरी इच्छा, अर तुम्हरा दुःख अर मि कु तुम्हरी धुन कु खबर हम तैं सुणै, ज्यां बट्टी हम तैं अर भि खुश हवे। 8 मि ईं बात बट्टी नि पछतांदु कि मिल तुम तैं चिठ्ठी लिखीं छै, चाहे यांल तुम दुखी भि हुयां; पैली मि तैं पछतावा हवे छो जब मिल देखि कि यांल तुम तैं थोड़ा बगत कु दुखी कैरेले छो। 9 पर अब मि खुश छो पर इलै न कि तुम तैं शोक हवे पर इलै कि तुम ल वे दुःख का कारण पापों बट्टी दूर कैरी, किलैकि जन कै पिता परमेश्वर चांदु छो, तुम उन ही उदास व, कि तुम तैं हमारा कारण कै भि बात मा तकलीफ नि हो। 10 इलै कि पिता परमेश्वर वे तैं छुडांद अर कै तैं भि वेका नतीजा बट्टी कभी दुख नि हूंद; जैको नतीजा उद्धार च अर फिर वे बट्टी पछतांण नि पुड़दो; पर दुनिया का दुःख लुखुं तैं अनन्त मौत का तरपां लिजांद। 11 ध्यान द्या कि पिता परमेश्वर की तरपां बट्टी अयां दुःख ल तुम मा क्य-क्य बदलाव कैरी; इन उत्सुकता भुरीं जल्दबाजी, अपड़ो पक्ष स्पष्ट कने की इन बड़ी इच्छा, अन्याय का प्रति इन गुस्सा, संकट का प्रति इन सावधानी, मि बट्टी मिलणै की इन जादा इच्छा, सेवा का प्रति इन उत्साह अर दुराचारी तैं दण्ड दींणु कु इन तेजी का द्वारा तुम ल यु साबित कैरेले कि सभि कुछ ठिक-ठाक कनु कु तुम ल कुई भि कमी नि छोड़ी। 12 फिर मिल जु गम्भीर चिठ्ठी तुम तैं लिखीं छो, उ न त वेका कारण लिखीं, जैल अन्यो कैरी, अर न वेका कारण जै पर अन्यो किये गै, पर इलै कि तुम्हरी उत्सुकता जु हम कु च, उ पिता परमेश्वर का संमणी तुम पर प्रगट हवे जौं। 13 इलै हम तैं हिम्मत हवे; अर हमारी ईं हिम्मत का दगड़ी तीतुस का खुशी का कारण और भि जादा खुशी हवे किलैकि वेको प्राण तुम सभियूं का कारण खुश हवे गै। 14 किलैकि जु मिल वेका संमणी तुम्हरा बारा मा कुछ गर्व दिखै, त लज्जित नि हुयां, पर जन हम ल तुम बट्टी सभि बात सच-सच बुलिनि, उन ही हमारो गर्व दिखांण तीतुस का संमणी भि सच निकली। 15 अर जब उ याद करद, कि तुम सभि बुल्युं मनणवला छा, अर तुम ल डरदि अर कंपदि वे तैं स्वीकार कैरी त तुम कु वेको प्रेम और भि जादा बढ़ि गै। 16 मि खुश हूंदु, कि तुम्हरी तरपां बट्टी मि तैं हर बात मा भरोसा हूंद। |
Garhwali New Testament(गढवली नयो नियम), 2020 by The Love Fellowship is licensed under a Creative Commons Attribution-ShareAlike 4.0 International License.