2 पतरस 2 - Garhwaliझूठ्ठा गुरु अर ऊंको को नास 1 अर जन इस्राएली लोगु का बीच मा झूठ्ठा रैबर्या निकळि के ऐ गै छा, अर वु खुद तैं परमेस्वर को रैबर्या बतौन्दा छा, ठिक उन्नि तुम लोगु का बीच मा भि कुछ झूठ्ठा गुरु निकळि के आला। अर ऊ लोग झूठ्ठी शिक्षा को परचार बड़ी चालाकी से तुमरा बीच मा करला, इख तक कि ऊ हमरा यीशु मसीह तैं भि नकारी द्याला जैन ऊंतैं अपणु खून देके खरीदी, मगर इन कैरिके ऊ भौत जल्द नास ह्वे जाला। 2 अर इथगा ही ना बल्किन मा भौत सा बिस्वासी लोग त ऊं झूठ्ठा गुरु लोगु का पिछनै चलला। तब जु लोग सच्चै का बारा नि जणदिन ऊ लोग झूठ्ठा गुरु लोगु का चाल-चलन तैं देखि के सच्चै का बाटा का बारा मा बुरु बुलला। 3 अर अपणा लालच का खातिर वु झूठ्ठा लोग अपणी झूठ्ठी बातों का द्वारा तुम बटि पैसा कमौला। मगर परमेस्वर न ऊंतैं भौत पैलि ही दोषी ठैरैयालि, अर अब ऊंको नास होण मा देर नि होलि। 4 किलैकि परमेस्वर न पाप करण वळा ऊं स्वर्गदूतों तैं भि नि छोड़ि, बल्किन मा वेन ऊंतैं सजा दिनी। वेन ऊंतैं नरकलोक का सबसे अन्धेरा वळी जगा मा ढोळि दिनी, ताकि न्याय का दिन तक ऊंतैं उख रखै जौ, अर वे दिन पर ऊंतैं दण्ड दिये जौ। 5 अर परमेस्वर न पुरणा जमना मा भि दुनियां का बुरा लोगु तैं नि छोड़ि, वेन त ऊं अधरमी लोगु को जल परलय का द्वारा नास कैरी, मगर धरम को परचार करण वळा हमरा पितर नूह अर वेका परिवार का सात लोगु तैं बचै। 6 अर परमेस्वर न सदोम अर अमोरा नगरों का लोगु तैं नास होण खुणि इन दण्ड दिनी, कि ऊंतैं फूकी के छारो बणै दिनी ताकि पिता परमेस्वर कि भक्ति नि करण वळा लोगु खुणि या शिक्षा एक उदारण बणि जौ। 7 मगर वेन लूत तैं सदोम नगर से बचै, किलैकि उ एक धरमी मनखि छौ, जु कि अपणा आस-पास का दुष्ट लोगु का बुरा काम से भौत परेसान ह्वे गै छौ। 8 किलैकि उ धरमी मनखि छौ, अर हरेक दिन ऊंका बीच मा रै के ऊंका बुरा कामों तैं देखि अर सुणी के हमेसा दुखी होन्दु छौ। 9 अर यू बात ही हमतै इन दिखौन्दिन कि प्रभु परमेस्वर जणदु च कि जु लोग वेकी भक्ति करदिन, उ ऊंतैं कनकै भौत सा संकट से भैर निकळदु, अर बुरा लोगु तैं दण्ड देण खुणि कनकै न्याय का दिन तक रखदु। 10 अर खास कैरिके ऊं लोगु तैं जु अपणा सरील तैं बुरा कामों मा लगौन्दिन, अर परमेस्वर का अधिकार तैं सुद्दी समझदिन, परमेस्वर न ऊंतैं दण्ड खुणि रख्युं च। अर यू झूठ्ठा गुरु अपणु मोन बड़ु कैरिके रखदिन, अर स्वर्गदूतों की बेजती करण से भि पिछनै नि हटदिन। 11 जब कि स्वर्गदूत जु ताकत अर सामर्थ मा यों लोगु से कई जादा बड़ा छिन, ऊ भि प्रभु का समणि ऊं लोगु पर कुई इळजाम नि लगौन्दिन। 12 यू लोग त एक मूरख जानबर का जन छिन, जौं को जनम पकड़ै जाण अर नास होणु खुणि ही होयुं च। अर यू लोग जौं बातों का बारा मा नि जणदिन ऊं बातों का बारा मा दुसरा लोगु कू भलु-बुरु बुल्दिन, यू लोग खुद की ही बातों मा जानबर का जन सैड़ी जाला। 13 अर यू बुरै करदिन पर याद रखा कि, अगनै जग्यूं मुछयलु पिछनै ही औन्दु। यू लोग त उई छिन जु दिन-दुफरि मा भोग-बिलास करदिन, अर इन करण ऊंतैं अच्छु लगदु। अरे यू लोग त कलंक छिन, अर जब यू लोग तुमरा दगड़ा कै दावत मा जनदिन, 14 त यों का आंखा हमेसा इन्दरि जनानि कि ताक मा रौनदिन, जिं का दगड़ा मा यू गळत काम कैरी सैका। अर इन कैरिके यों का आंखा पाप करण खुणि ही लग्यां रौनदिन। अर यू लोग चंचल मन वळो तैं भरमै देन्दिन, अर यों का मन मा भौत लालच भोरयूं च। असल मा यू वु लोग छिन जौं पर असगार पोड़्यूं च। 15 यू लोग अब सीदा बाटा तैं छोड़ि के भटकी गैनी। यू लोग बओर का नौना बिलाम का जन काम कना छिन, बिलाम जैन बुरै की कमै तैं खूब माणी छौ। 16 मगर वेका बुरा कामों खुणि एक गधा न भि मनखि का जन बात कैरिके बिलाम तैं झिड़की। अर वे बगत वे गधा न परमेस्वर का वे रैबर्या तैं वेका बौल्यापन से रोकी। 17 अर यू लोग पाणि का एक सुख्यां धारा का जन छिन, अर यू इन बादळों का जन छिन, जौं मा पाणि नि च। अर आंधी ऊं बादळों तैं उड़ै के लि जान्दी, अर यों लोगु का रौण खुणि एक अन्धेरी जगा च। 18 अर झूठ्ठा लोग बेकार कि बात करदिन, अर अपणा गन्दा कामों का द्वारा दुसरा लोगु तैं सरील की बुरी इच्छा मा फंसै देन्दिन। अर अभि-अभि जु लोग सच्चै का बाटा पर चलण लगि गै छा, यू ऊंतैं फिर से भटके देन्दिन। 19 अरे, यू झूठ्ठा लोग खुद त बुगणा छिन, अर दुसरो तैं बचौण की बात कना छिन। किलैकि इन्द्रया लोग त आजादी दिलौण को करार करदिन, जब कि यू खुद बुरै का गुलाम छिन। 20 अर या बात सच्च च, कि अगर ऊ लोग हमरा प्रभु अर छुटकारा देण वळा यीशु मसीह का बारा मा पूरा ज्ञान का द्वारा दुनियां की अशुद्ध चीजों से बचण का बाद, अगर फिर से दुनियां का कामों मा ही लगि जनदिन, त या बात साफ ह्वे जान्दी कि अब ऊंकी हालत पैलि से भि जादा खराब ह्वे जान्दी। 21 अर ऊं खुणि भली बात त या ही होन्दी, कि वु धरम का बाटा का बारा मा सच्चु ज्ञान ही नि पौन्दा, अर ज्वा पवित्र आज्ञा ऊंतैं दिये गै वींतैं ऊ लोग अच्छी तरौं से नि जनण चनदिन, बल्किन मा वांको पालन करण ही छोड़ि देन्दिन। 22 इलै ऊं पर या औखाण ठिक बैठणी च कि, “कुकर अपणी ही उल्टी तैं चटणु खुणि फिर वापस जान्दु,” अर “सुंगर तैं कथगा भि नह्वा-धुवा, फिर भि उ कीचड़ मा लतपत ह्वे जान्दु।” |
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