1 कुरिन्थि 9 - Garhwaliखास चेलों को हक 1 हे मेरा भै-बैंणो, मेरी बात पर ध्यान द्या मि एक आजाद मनखि छौं, अर प्रभु यीशु को खास चेला भि, अर हमरा प्रभु यीशु तैं मिन अपणा समणि देखि छौ। अर मेरा काम को नतीजा तुम लोग ही छाँ, जौन यीशु पर बिस्वास कैरी। 2 अर अगर दुसरा लोग ईं बात तैं स्वीकार नि करदिन, कि मि भि प्रभु यीशु को एक खास चेला छौं त कुई बात नि च, मगर हे मेरा दगड़्यों, तुम ईं बात तैं स्वीकार कैरा किलैकि जब मिन तुमतै शुभ समाचार सुणै, त तुमुन बिस्वास कैरी इलै तुम ईं बात का सबूत छाँ कि मि वेको खास चेला छौं। 3 अर जु लोग मि पर इळजाम लगौन्दिन, ऊंतैं मि इन ही जबाब देण चान्दु। 4 अर क्या बरनबास अर मितैं तुमरा दगड़ा मा खाण-पीण को हक नि च? 5 क्या हमरु यू हक नि च? कि हम भि कैं बिस्वासी बैंण का दगड़ा मा ब्यौ कैरा अर जख भि जा वींतैं अपणा दगड़ा मा लि जा, जन कि और खास चेलों न, अर प्रभु का भैयों न अर पतरस न भि कैरी। 6 अर क्या हम मा यू हक नि च कि हम अपणा गुजर-बसर खुणि कमै कैरा? 7 अर इन्द्रयो सिपै कु च, जु सेवा मा हो मगर अपणु खर्च खुद ही उठौन्दु हो? अर इन्द्रयो मनखि कु च, जु अंगूर का बगिचा बणवौ, मगर वेका फल नि खौऽ? या इन्द्रयो चरवाह कु च जु भेड़ों की देखभाल करदु हो, मगर ऊंको दूद नि पीन्दु हो? 8 अर यू सब बात त मि दुनियां मा होण वळी बातों का मुताबिक ही नि बोन्नु छौं, बल्किन मा परमेस्वर का नियम-कानूनों मा भि हमतै या ही शिक्षा मिलदी, 9 अर पवित्रशास्त्र मा भि कुछ इन ही लिख्यूं च कि, “दैं करण का बगत बल्दों का गिच्चा पर म्वाळा नि बान्धि।” त क्या हमरु पिता परमेस्वर केवल बल्दों कि ही चिन्ता करदु? 10 अरे इख मा त उ खास कैरिके हम खुणि ही बोन्नु च। अर यू हमरा ही खातिर लिखे गै, किलैकि जु मनखि हौळ लगौन्दु अर जु दैं करदु, वु इन उम्मीद करदिन कि हमतै अनाज मिलण। 11 इलै जब बटि हमुन तुमरा जीवनों मा एक आत्मिक बीज बूति, त क्या बदला मा हम तुम बटि अपणा फैदा खुणि कुछ पौण की आस नि कैर सकद्यां? 12 अर जब दुसरा लोग तुम पर इन हक जतै सकदिन, त क्या हमरु तुम पर और भि जादा हक नि बणदु? पर फिर भि हमुन इन नि कैरी। अर इन हमुन इलै कैरी, ताकि हम मसीह का शुभ समाचार का परचार मा कुई रुकावट नि बणा, इलै हम हरेक दुख तैं सौणा छां। 13 अर क्या तुम नि जणद्यां, कि जु लोग मन्दिर मा सेवा करदिन, ऊ मन्दिर का खाणुक तैं भि खनदिन, अर जु वेदी का पास सेवा करदिन वु वेदी मा चड़ईं भेंट मा बटि खनदिन? 14 ये ही ढंग से प्रभु न भि ठैरै कि जु लोग शुभ समाचार सुणौन्दिन, ऊंकी कमै शुभ समाचार का द्वारा ही हो। 15 पर मि यों बातों मा बटि एक भि अधिकार को इस्तेमाल नि करदु। अर या बात मि तुम खुणि इलै नि लिखणु छौं, ताकि तुम मितैं कुछ द्या, पर मि त अपणी ईं ही बात पर बड़ु मोन करदु अब चै मि मोरि भि किलै नि जौ। 16 अर जु शुभ समाचार मि सुणौन्दु, वीं बात पर मिन बड़ु मोन नि कैरी, किलैकि यू काम मेरु अपणु च। अगर जु मि शुभ समाचार नि सुणौलु, त मि पर हाय च। 17 अर यू काम मि अपणी मरजी से करदु अर वु भि बड़ी खुशी-खुशी से। हे मेरा दगड़्यों, मि खुणि एक इनाम रख्युं च, पर अगर जु मि ये काम तैं अपणी मरजी से नि करलु, त यां को मतलब यू च कि मि केवल अपणी जबाबदारी तैं पूरु कनु छौं। 18 अर इन्दरि हालत मा मितैं कुई इनाम नि मिलण। मगर जब मि शुभ समाचार को परचार करदु, त वेका बदला मा मि कै बटि कुछ नि लेन्दु। अर ना ही मि शुभ समाचार मा अपणा अधिकारो को इस्तेमाल करदु। सब लोगु की सेवा करण 19 हालांकि, मि आजाद छौं अर कै को गुलाम नि छौं, पर फिर भि मि खुद तैं सभ्यों को गुलाम समझदु, ताकि मि जादा से जादा लोगु तैं मसीह का बाटा पर लेके ऐ सैकु। 20 इलै जु जन छौ, मि ऊं खुणि उन्नि बणि ग्यों। मि खुद त मूसा रैबर्या का द्वारा दियां नियम-कानूनों से आजाद ह्वे ग्यों। मगर फिर भि जब मि यहूदी लोगु का दगड़ा मा रौन्दु त मि ऊं खुणि नियम-कानून का मुताबिक ही चलदु, ताकि वु यीशु मसीह पर बिस्वास कैरा। 21 अर जु लोग अलग-अलग जाति का छिन, अर मूसा रैबर्या का दियां नियम-कानूनों को पालन नि करदिन, जब मि ऊंका बीच मा रौन्दु मि ऊंका मुताबिक ही चलदु, ताकि वु भि यीशु मसीह पर बिस्वास कैरा। अर यां को मतलब यू नि च कि मि यीशु मसीह की आज्ञा का खिलाप मा चलणु छौं। किलैकि मि यीशु मसीह की आज्ञा को पालन कैरिके सभ्यों तैं अफ जन ही प्यार कनु छौ। 22 अर जब ऊं लोगु का बीच मा छौ जु कि बिस्वास मा कमजोर छिन त मि ऊंका जन ही बणि ग्यों, ताकि वु बिस्वास मा और मजबूत ह्वे सैका। अर यों सब बातों को मतलब यू च कि मि सब किसम का लोगु खुणि सब कुछ बणि ग्यों, ताकि कनि ना कनि के मि लोगु तैं यीशु मसीह का पास लेके ऐ सैकु, अर वु वीं सजा से बचि जा जु की पाप करण की वजै से मिलदी। 23 अर यू सब कुछ मि शुभ समाचार की वजै से करदु, ताकि मि शुभ समाचार तैं दुसरो लोगु मा बांटि सैकु। मसीह मा जीण 24 हे मेरा भै-बैंणो, तुम त जणदा ही छाँ कि दौड़ मा त सब लोग भगदिन, मगर इनाम त एक आदिम लि जान्दु। इलै तुम भि उन्नि भागा ताकि जीत जा। 25 अर हरेक उ मनखि जु दौड़ मा सामिल होण चान्दु, पैलि उ भौत मेनत करदु अर अपणी हरेक इच्छा तैं मरदु अर यू सब कुछ त उ जीतणु खुणि करदु, ताकि उ जीत का इनाम तैं पै सैको जैन एक दिन नास ह्वे जाण। मगर मि तुमतै बतै देन्दु कि हम बिस्वासी लोग सब कुछ पिता परमेस्वर खुणि करद्यां अर हमतै इन्द्रयो इनाम मिलण जैको नास कभि नि होण। 26 इलै मि बेमतलब मा नि भगदु, अर ना ही बेमतलब मा हवा मा मुक्का मरदु। 27 अर मि अपणा सरील तैं अपणा वश मा रखदु, अर अपणी इच्छा तैं भि अपणा वश मा रखदु। अर इन मि इलै करदु ताकि कखि इन नि हो कि मि सभ्यों तैं पार लगै द्यो अर खुद ही छुटी जौं। |
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