परकासितवाक्य 17 - नुवो नेम (मेवड़ी नया नियम)मानी तकी वेस्याँ अन जनावर 1 ईंका केड़े वाँ हात हरग-दुताँ मेंऊँ ज्याँका नके हात प्याला हा, एक मारी नके आन क्यो, “अटे आ, मूँ थने वीं मानी तकी वेस्याँ ने दण्ड भोगती तकी बताऊँ, ज्या घणी नंद्याँ का कनारे बेटी हे, 2 जिंका हाते धरती की राजा कुकरम किदा हा धरती पे रेबावाळा वींका कूकरमऊँ मतवाळा वेग्या हा।” 3 तद्याँ आत्मा मने कांकड़ में लेगी, वटे में एक लुगई ने लाल रंग का डरावणा जनावर पे बेटी तकी देकी, ओ जनावर परमेसर का विरोद में बोलबा सबदाऊँ भरियो हो। वींके हात माता अन दस हिंगड़ा हा। 4 वणी लुगई लाल रंग का बेगनी गाबा पेर मेल्या हा। वाँ हीरा मोत्याऊँ अन होना, चाँदीऊँ खुद को सिगार कर मेल्यो हो। वींके हात में होना को प्यालो हो, जिंका में बुरी बाताँ अन कुकरम की चिजाँ भरी तकी ही। 5 वींके माता पे एक भेद वाळो नाम लिक्यो हो, “मोटा नगर बाबुल, धरती की वेस्याँ अन हुगली चिजाँ की बई।” 6 में वीं लुगई ने पुवितर मनकाँ को लुई अन ईसू मसी की गवई देबावाळा मनकाँ की लुई पिवा की वजेऊँ मतवाळी वेती तकी देकी। अस्यान देकन मूँ अचम्बो में पड़ग्यो। 7 तद्याँ वीं हरग-दुत माराऊँ क्यो, “थूँ अचम्बो में काँ पड़ग्यो? मूँ थने ईं लुगई अन वीं डरावणा जनावर का बारा में जिंका हात माता अन दस हिंगड़ा हे, वींको भेद बताऊँ। 8 जीं डरावणा जनावर ने थें देक्यो हे, वो अबे ने, पण पेल्याँ जीवतो हो, पण वो पाताळऊँ निकळबा वाळो हे, अन तद्याँ वींको नास वे जाई। धरती पे रेबावाळा वीं मनक ज्याँका नाम सरुआतऊँ ईं जीवन की किताब में ने लिक्या हे, वीं ईं डरावणा जनावर ने देकन अचम्बो करी, काँके ओ पेला जीवतो हो पण अबे ने, तद्याँ भी वो आबावाळो हे। 9 “अटे हमजबावाळी अन ग्यान की बात की गी हे, ईं हात माता हात मंगरा ने बतावे हे, जिंपे वाँ लुगई बेटी हे। 10 ईं हात माता हात राजा ने भी बतावे हे, अणा मेंऊँ पाँच को तो नास वे चुक्यो हे, एक अबाणू भी राज करे हे, अन एक आलतरे आयो ने हे। पण जद्याँ वो आई, तद्याँ थोड़ीक टेम वाते रेई। 11 अन वो डरावणो जनावर ज्यो पेला जीवतो हो, पण अबे ने हे, वो खुद आटवो राजा हे ओ अणा हातई राजा मेंऊँ एक हे, वींको भी नास वेबावाळो हे। 12 “जी दस हिंगड़ा थें देक्या हे, वीं भी दस राजा ने दिकावे हे, पण वाँने आलतरे तईं राज-दरबार ने मल्यो। पण वाँने डरावणा जनावर का हाते थोड़ीक टेम का वाते राज करबा को हक दिदो जाई। 13 वीं दसई राजा एक मन वेई, अन वीं आपणी-आपणी तागत अन अदिकार वीं डरावणा जनावर ने देई। 14 वीं उन्याँऊँ लड़ी, पण वो उन्यो आपणाँ बलाया तका, चुण्या तका अन आपणाँ गेले चालबावाळा मनकाँ ने हाते लेन वींने हरा देई, काँके वो उन्यो राजावो को भी राजा अन परबू को भी परबू हे।” 15 वीं हरग-दुत माराऊँ पाछो क्यो, “थें जी नंद्याँ देकी हे, ज्याँका कनारे वाँ वेस्याँ बेटी ही, वीं नंद्याँ हाराई देसाँ का मनकाँने, जात्या ने, हारी बोली बोलबावाळा मनकाँने अन गोताँ ने बतावे हे। 16 अन वीं दस हिंगड़ा जिंने थें देक्या हा अन वाँके हाते वीं डरावणा जनावर वीं वेस्याऊँ नपरत करी, वीं वींको हारोई कोसन वींने उगाड़ी कर देई। अन वींको माँस खई जाई अन वींने वादी में बाल देई। 17 काँके परमेसर जटा तईं आपणी बात ने पुरी करबा का वाते वाँके मन में अस्यान करी अन वाँने एक मन वेन अस्यान करबा का वाते उकसाई, जणीऊँ वीं आपणी तागत अन आपणो अदिकार वीं डरावणा जनावर ने दी दे। 18 जीं लुगई ने थें देकी ही, या वीं मोटा नगर ने बतावे, ज्यो धरती का राजा पे राज करे हे।” |
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