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- Sanasan -

आस्तर 3 - किताब-ए मुक़द्दस


हामान यहूदी क़ौम को हलाक करना चाहता है

1 कुछ देर के बाद बादशाह ने हामान बिन हम्मदाता अजाजी को सरफ़राज़ करके दरबार में सबसे आला ओहदा दिया।

2 जब कभी हामान आ मौजूद होता तो शाही सहन के दरवाज़े के तमाम शाही अफ़सर मुँह के बल झुक जाते, क्योंकि बादशाह ने ऐसा करने का हुक्म दिया था। लेकिन मर्दकी ऐसा नहीं करता था।

3 यह देखकर दीगर शाही मुलाज़िमों ने उससे पूछा, “आप बादशाह के हुक्म की ख़िलाफ़वरज़ी क्यों कर रहे हैं?”

4 उसने जवाब दिया, “मैं तो यहूदी हूँ।” रोज़ बरोज़ दूसरे उसे समझाते रहे, लेकिन वह न माना। आख़िरकार उन्होंने हामान को इत्तला दी, क्योंकि वह देखना चाहते थे कि क्या वह मर्दकी का जवाब क़बूल करेगा या नहीं।

5 जब हामान ने ख़ुद देखा कि मर्दकी मेरे सामने मुँह के बल नहीं झुकता तो वह आग-बगूला हो गया।

6 वह फ़ौरन मर्दकी को क़त्ल करने के मनसूबे बनाने लगा। लेकिन यह उसके लिए काफ़ी नहीं था। चूँकि उसे बताया गया था कि मर्दकी यहूदी है इसलिए वह फ़ारसी सलतनत में रहनेवाले तमाम यहूदियों को हलाक करने का रास्ता ढूँडने लगा।

7 चुनाँचे अख़स्वेरुस बादशाह की हुकूमत के 12वें साल के पहले महीने नीसान में हामान की मौजूदगी में क़ुरा डाला गया। क़ुरा डालने से हामान यहूदियों को क़त्ल करने की सबसे मुबारक तारीख़ मालूम करना चाहता था। (क़ुरा के लिए ‘पूर’ कहा जाता था।) इस तरीक़े से 12वें महीने अदार का 13वाँ दिन निकला।

8 तब हामान ने बादशाह से बात की, “आपकी सलतनत के तमाम सूबों में एक क़ौम बिखरी हुई है जो अपने आपको दीगर क़ौमों से अलग रखती है। उसके क़वानीन दूसरी तमाम क़ौमों से मुख़्तलिफ़ हैं, और उसके अफ़राद बादशाह के क़वानीन को नहीं मानते। मुनासिब नहीं कि बादशाह उन्हें बरदाश्त करें!

9 अगर बादशाह को मंज़ूर हो तो एलान करें कि इस क़ौम को हलाक कर दिया जाए। तब मैं शाही ख़ज़ानों में 3,35,000 किलोग्राम चाँदी जमा करा दूँगा।”

10 बादशाह ने अपनी उँगली से वह अंगूठी उतारी जो शाही मुहर लगाने के लिए इस्तेमाल होती थी और उसे यहूदियों के दुश्मन हामान बिन हम्मदाता अजाजी को देकर

11 कहा, “चाँदी और क़ौम आप ही की हैं, उसके साथ वह कुछ करें जो आपको अच्छा लगे।”

12 पहले महीने के 13वें दिन हामान ने शाही मुहर्रिरों को बुलाया ताकि वह उस की तमाम हिदायात के मुताबिक़ ख़त लिखकर बादशाह के गवर्नरों, सूबों के दीगर हाकिमों और तमाम क़ौमों के बुज़ुर्गों को भेजें। यह ख़त हर क़ौम के अपने तर्ज़े-तहरीर और अपनी ज़बान में क़लमबंद हुए। उन्हें बादशाह का नाम लेकर लिखा गया, फिर शाही अंगूठी की मुहर उन पर लगाई गई। उनमें ज़ैल का एलान किया गया।

13 “एक ही दिन में तमाम यहूदियों को हलाक और पूरे तौर पर तबाह करना है, ख़ाह छोटे हों या बड़े, बच्चे हों या औरतें। साथ साथ उनकी मिलकियत भी ज़ब्त कर ली जाए।” इसके लिए 12वें महीने अदार का 13वाँ दिन मुक़र्रर किया गया। यह एलान तेज़रौ क़ासिदों के ज़रीए सलतनत के तमाम सूबों में पहुँचाया गया

14 ताकि उस की तसदीक़ क़ानूनी तौर पर की जाए और तमाम क़ौमें मुक़र्ररा दिन के लिए तैयार हों।

15 बादशाह के हुक्म पर क़ासिद चल निकले। यह एलान सोसन के क़िले में भी किया गया। फिर बादशाह और हामान खाने-पीने के लिए बैठ गए। लेकिन पूरे शहर में हलचल मच गई।

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