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फ़िलिप्पियों 4:17 - उर्दू हमअस्र तरजुमा

17 ये नहीं के मैं तुम्हारी भेजी हुई रक़म का मुश्ताक़ हूं; बल्के ऐसे इन्आम की ख़ाहिश करता हूं, जिस से आप की रूहानी बरकतों में इज़ाफ़ा हो जाये।

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

17 ये नहीं कि मैं ईनाम चाहता हूँ बल्कि ऐसा फल चाहता हूँ जो तुम्हारे हिसाब से ज़्यादा हो जाए

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किताब-ए मुक़द्दस

17 कहने का मतलब यह नहीं कि मैं आपसे कुछ पाना चाहता हूँ, बल्कि मेरी शदीद ख़ाहिश यह है कि आपके देने से आप ही को अल्लाह से कसरत का सूद मिल जाए।

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फ़िलिप्पियों 4:17
26 Cross References  

तुम ने मुझे नहीं चुन, बल्के मैंने तुम्हें चुन और मुक़र्रर किया है ताके तुम जा कर फल लाओ ऐसा फल जो क़ाइम रहे ताके जो कुछ तुम मेरा नाम ले कर बाप से मांगोगे वह तुम्हें अता करेगा।


मेरे बाप का जलाल इस में है, के जिस तरह तुम बहुत सा फल लाते हो, और ऐसा करना तुम्हारे शागिर्द होने की दलील है।


लिहाज़ा मैं इस ख़िदमत को अन्जाम दे कर यानी पूरी रक़म उन तक पहुंचा कर स्पेन के लिये रवाना हो जाऊंगा और राह में ही तुम से मुलाक़ात करूंगा।


मैं फिर कहता हूं: कोई मुझे बेवक़ूफ़ न समझे। लेकिन अगर तुम मुझे बेवक़ूफ़ समझते हो, तो भी मेरी सुन लो ताके में भी थोड़ा सा फ़ख़्र कर सकूं।


इसलिये मैंने भाईयों से यह दरख़्वास्त करना बहुत ज़रूरी समझा के वह मुझ से पहले तुम्हारे पास पहुंच जायें और वह अतीयः जो तुम ने देने का वादा किया। वक़्त से पहले तय्यार कर रखें ताके वह ख़ुशी से दिया हुआ अतीयः मालूम हो, न के ऐसी रक़म जो ज़बरदस्ती जमा की गई हो।


और हुज़ूर ईसा अलमसीह के वसीले से रास्तबाज़ी के फल से भरे रहो, ताके ख़ुदा का जलाल ज़ाहिर हो और उस की सिताइश होती रहे।


मैं यह इसलिये नहीं कह रहा हूं के मोहताज हूं, क्यूंके मैंने किसी भी हालात में राज़ी रहना सीख लिया है।


क्यूंके तुम जानते हो के हम ने कलाम में कभी भी न तो ख़ुशामद का सहारा लिया और न ही वो लालच का पर्दा बना, ख़ुदा इस बात का गवाह है।


वह शराबी और मार पेट करने वाला न हो, बल्के नर्म मिज़ाज हो, और तकरार करने वाला और ज़रदोस्त न हो।


क्यूंके ज़रदोस्ती हर क़िस्म की बुराई की जड़ है और बाज़ लोगों ने दौलत के लालच में आकर अपना ईमान खो दिया और ख़ुद को काफ़ी अज़ीय्यत पहुंचाई है।


क्यूंके निगहबान को ख़ुदा के घर का मुख़्तार होने की वजह से ज़रूर बेइल्ज़ाम होना चाहिये। न तो वो सख़्त-दिल, गर्म मिज़ाज, शराबी, झगड़ालू, और नाजायज़ नफ़े का लालची हो।


और हमारे लोग भी अच्छे कामों में मश्ग़ूल होना सीखीं ताके दूसरों की फ़ौरी जरूरतों को पूरा कर सकें और बे फल ज़िन्दगी न गुज़ारें।


इसलिये के ख़ुदा बेइन्साफ़ नहीं जो तुम्हारे काम और उस महब्बत को भूल जाये जो तुम ने उस की ख़ातिर उस के मुक़द्दसीन लोगों की ख़िदमत करने से ज़ाहिर की और अब भी कर रहे हो।


तुम ख़ुदा के उस गल्ले की गल्लेबानी करो जो तुम्हारे सुपुर्द किया गया है, लाचारी से नहीं बल्के ख़ुदा की मर्ज़ी और अपनी ख़ुशी से निगहबानी करो; इस ख़िदमत को नाजायज़ नफ़ा के मक़सद से नहीं बल्के दिल्ली शौक़ से अन्जाम दो।


ये लोग सीधी राह छोड़कर गुमराह हो गये हैं और बऊर के बेटे बिलआम की राह चल पड़े हैं जिस ने नारास्ती की कमाई को अज़ीज़ जाना।


और लालच के सबब से ऐसे उस्ताद तुम्हें फ़र्ज़ी क़िस्से सुना कर तुम से नाजायज़ फ़ायदा उठायेंगे। लेकिन उन पर बहुत पहले ही सज़ा का हुक्म हो चुका है और उन की हलाकत जल्द होने वाली है।


इन पर अफ़सोस! क्यूंके ये लोग क़ाइन की राह पर चलते हैं और उन्होंने माली फ़ायदे की ख़ातिर बिलआम की सी ग़लती की है और क़ोरह की तरह मुख़ालफ़त कर के हलाक हुए।


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