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फ़िलिप्पियों 1:7 - उर्दू हमअस्र तरजुमा

7 मेरा तुम सब की बाबत ये ख़्याल करना मुनासिब है, क्यूंके तुम हमेशा मेरे दिल में रहते हो, न सिर्फ़ उस वक़्त जब के मैं ज़न्जीरों में क़ैद हूं बल्के उस वक़्त भी जब मैं ख़ुशख़बरी की जवाबदेही और सबूत के अमल में, तुम सब मेरे साथ ख़ुदा के फ़ज़ल में शरीक रहे हो।

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

7 चुनाँचे ज़रूरी है कि मैं तुम सब के बारे में ऐसा ही ख़याल करूँ, क्यूँकि तुम मेरे दिल में रहते हो, और क़ैद और ख़ुशख़बरी की जवाब दिही और सुबूत में तुम सब मेरे साथ फ़ज़ल में शरीक हो।

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किताब-ए मुक़द्दस

7 और मुनासिब है कि आप सबके बारे में मेरा यही ख़याल हो, क्योंकि आप मुझे अज़ीज़ रखते हैं। हाँ, जब मुझे जेल में डाला गया या मैं अल्लाह की ख़ुशख़बरी का दिफ़ा या उस की तसदीक़ कर रहा था तो आप भी मेरे इस ख़ास फ़ज़ल में शरीक हुए।

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फ़िलिप्पियों 1:7
34 Cross References  

सिर्फ़ इतना जानता हूं के पाक रूह की जानिब से मुझे हर शहर में ये आगाही मिलती रही के क़ैद और मुसीबतों की ज़न्जीरें मेरी मुन्तज़िर हैं।


पलटन के सालार ने नज़दीक आकर पौलुस को अपने क़ब्ज़ा में ले लिया और आप को दो ज़न्जीरों से बांधने का हुक्म दिया। फिर इस ने पूछा के ये आदमी कौन है और इस ने क्या किया है?


सब का पर्दा रखती है, हमेशा भरोसा करती है, हमेशा उम्मीद रखती है, हमेशा बर्दाश्त से काम लेती है।


में यह सब कुछ इन्जील की ख़ातिर करता हूं ताके उस की बरकतों में शरीक हो सकूं।


हमारा ख़त तो हमारे दिलों पर लिख्खा हुआ है, और वह ख़त तुम हो, उस ख़त को सब लोग जानते हैं और पढ़ भी सकते हैं।


मैं तुम्हें मुजरिम ठहराने के लिये नहीं कहता; मैं पहले ही कह चुका हूं के तुम हमारे दिलों में बस गये हो। अब हम एक साथ जियेंगे और मरेंगे।


और जो कोई अलमसीह ईसा में है उस का ख़तना कराना या न कराना इतना मुफ़ीद नहीं। जितना मुफ़ीद अलमसीह पर ईमान रखना है जो महब्बत के ज़रीये असर करता है।


यही वजह है के मैं पौलुस, तुम ग़ैरयहूदी क़ौमों की ख़ातिर अलमसीह ईसा का क़ैदी हूं।


पस मैं जो ख़ुदावन्द की ख़ातिर क़ैद में हूं, तुम से इल्तिमास करता हूं के उस मेयार के मुताबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारो जिस के लिये तुम बुलाए गये थे।


इस ख़ुशख़बरी की ख़ातिर में ज़न्जीर से जकड़ा हुआ एलची हूं। दुआ करो के में ऐसी दिलेरी से उसे बयान करूं जैसा मुझ पर फ़र्ज़ है।


ऐ भाईयो और बहनों! मेरी ख़ाहिश है के तुम्हें यह बात मालूम हो जाये के जो कुछ मुझ पर गुज़रा है वह ख़ुशख़बरी की तरक़्क़ी का बाइस हुआ है।


यहां तक के शाही महल के तमाम सिपाहियों और यहां के सब लोगों में यह बात मशहूर हो गई है के मैं अलमसीह के ख़ादिम होने की ख़ातिर क़ैद में हूं।


मेरे क़ैद होने से कई भाई और बहन जो ख़ुदावन्द पर ईमान रखते हैं, दिलेर हो गये हैं, यहां तक के वह बेख़ौफ़ होकर ख़ुदा का कलाम सुनाने की जुरअत करने लगे हैं।


इसलिये के तुम पहले दिन से आज तक ख़ुशख़बरी फैलाने में शरीक रहे हो,


लेकिन तुम तिमुथियुस के किरदार से वाक़िफ़ हो के किस तरह उस ने एक बेटे की तरह मेरे साथ मिल कर ख़ुशख़बरी की मुनादी की ख़िदमत अन्जाम दी है।


तो भी तुम ने अच्छा किया के मेरी मुसीबत में शरीक हुए।


ऐ अहल-ए-फ़िलिप्पी! तुम अच्छी तरह जानते हो के शुरू-शुरू में जब में ख़ुशख़बरी सुनता हुआ, सूबे मकिदुनिया से रवाना हुआ था, तो तुम्हारे सिवा किसी जमाअत ने लेने देने के मुआमले में, मेरी मदद न की;


और मेरे सच्चे हम ख़िदमत! मैं तुम से भी दरख़्वास्त करता हूं के इन दोनों ख़्वातीन की मदद करो, क्यूंके उन्होंने क्लेमेंस और मेरे बाक़ी हम ख़िदमतों समेत, मेरे साथ ख़ुशख़बरी फैलाने में बड़ी मेहनत की, इन सब के नाम किताब-ए-हयात में दर्ज हैं।


मैं पौलुस अपने हाथ से तुम्हें सलाम लिखता हूं। मुझे याद रखना ये मत भूलना के मैं ज़न्जीरों में जकड़ा यानी क़ैदख़ाने में हूं। ख़ुदा का तुम पर फ़ज़ल होता रहे।


और हमारे लिये भी दुआ करो, ताके ख़ुदा हमारे लिये कलाम सुनाने का दरवाज़ा खोल दे और हम अलमसीह के पैग़ाम के उस राज़ को बयान कर सकें, जिस की वजह से मैं ज़न्जीरों से जकड़ा हूं।


क्यूंके तुम सब तो नूर के फ़र्ज़न्द और दिन के फ़र्ज़न्द हो; हम न तो रात के हैं और न तारीकी के हैं।


पस तू हमारे ख़ुदावन्द की गवाही देने से और मुझ से जो उस का क़ैदी हूं शरम न कर बल्के जैसे मैं ख़ुशख़बरी की ख़ातिर दुख उठाता हूं, वैसे तू भी ख़ुदा की दी हुई क़ुदरत के मुताबिक़ इन्जील की ख़ातिर मेरे साथ दुख उठा।


इसी ख़ुशख़बरी के लिये मैं मुजरिम की तरह दुख उठाता और ज़न्जीरों से जकड़ा हुआ हूं। लेकिन ख़ुदा का कलाम क़ैद नहीं है।


हालांके उसे मैं अपने ही पास रखना चाहता था ताके वो तुम्हारी जगह पर इस क़ैद में जो ख़ुशख़बरी सुनाने की ख़ातिर है, मेरी ख़िदमत करे।


लिहाज़ा ऐ मुक़द्दसीन भाईयों और बहनों, तुम जो आसमानी बुलावे में शरीक हो, हुज़ूर ईसा पर ग़ौर करो जिन का हम इक़रार रसूल और आला काहिन के तौर पर करते हैं।


बल्के ख़ुशी मनाओ की तुम अलमसीह के दुखों में शरीक हो रहे हो। ताके जब उन का जलाल ज़ाहिर हो, तो तुम और भी निहायत ख़ुश-ओ-ख़ुर्रम हो सको।


तुम में जो जमाअत के बुज़ुर्ग हैं, मैं उन की मानिन्द एक हम बुज़ुर्ग और अलमसीह के दुखों का चश्मदीद गवाह और उस के ज़ाहिर होने वाले जलाल में शरीक होकर उन से ये दरख़्वास्त करता हूं।


बल्के में अपना फ़र्ज़ समझता हूं के जब तक में इस जिस्मानी ख़ेमे में ज़िन्दा हूं, इन बातों को याद दिला-दिला कर तुम्हें उभारना वाजिब समझता हूं,


क्यूंके हम जानते हैं के हम मौत से निकल कर ज़िन्दगी में दाख़िल हो गये हैं, क्यूंके हम एक दूसरे से महब्बत रखते हैं। जो महब्बत नहीं रखता वो गोया मुर्दे की तरह है।


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