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फ़िलिप्पियों 1:15 - उर्दू हमअस्र तरजुमा

15 बाज़ तो हसद और झगड़े की वजह से अलमसीह की मुनादी करते हैं, बाज़ नेकनियती से।

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

15 कुछ तो हसद और झगड़े की वजह से मसीह का ऐलान करते हैं और कुछ नेक निती से।

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किताब-ए मुक़द्दस

15 बेशक बाज़ तो हसद और मुख़ालफ़त के बाइस मसीह की मुनादी कर रहे हैं, लेकिन बाक़ियों की नीयत अच्छी है,

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फ़िलिप्पियों 1:15
22 Cross References  

“वह अपने सब कामों को दिखाने को करते हैं: क्यूंके वह बड़े-बड़े तावीज़ पहनते हैं और अपनी पोशाक के किनारे चौड़े रखते हैं।


तुम जानते हो के ख़ुदावन्द ने बनी इस्राईल के पास अपना सलामती का कलाम भेजा, जिस ने हुज़ूर ईसा अलमसीह की मारिफ़त सुलह की ख़ुशख़बरी सुनाई, जो सब का ख़ुदावन्द है।


पस, उन में से बाज़, जो जज़ीरे साइप्रसी और कुरेनी के थे, अन्ताकिया में जा कर यूनानियों को भी, ख़ुदावन्द ईसा की ख़ुशख़बरी सुनाने लगे।


रोज़-ब-रोज़ वह तालीम देने से बाज़ न आये बल्के हर रोज़ बैतुलमुक़द्दस के सेहनों में और घरों में, ख़ुशख़बरी सुनाते रहे के हुज़ूर ईसा ही अलमसीह हैं ये कहने से बाज़ न आये।


फ़िलिप्पुस ने किताब-ए-मुक़द्दस के उसी हिस्से से शुरू कर के उसे हुज़ूर ईसा के बारे में ख़ुशख़बरी सुनाई।


चुनांचे फ़िलिप्पुस सामरिया के एक शहर में गये और वहां अलमसीह की मुनादी करने लगे।


इस के फ़ौरन बाद साऊल ने यहूदी इबादतगाहों में मुनादी शुरू कर दी के हुज़ूर ईसा ही ख़ुदा का बेटा हैं।


लेकिन जो ख़ुद ग़रज़ हैं और सच्चाई को तर्क कर के बदी की पैरवी करते हैं, उन पर ख़ुदा का क़हर और ग़ज़ब नाज़िल होगा।


मगर हम उस अलमसीह मस्लूब की मुनादी करते हैं: जो यहूदियों के नज़दीक ठोकर का बाइस और ग़ैरयहूदियों के नज़दीक बेवक़ूफ़ी है।


और अगर अपना सारा माल गरीबों में बांट दूं और अपना बदन क़ुर्बानी के तौर पर जलाये जाने के लिये दे दूं और महब्बत से ख़ाली रहूं तो मुझे कोई फ़ायदा नहीं।


सीलास, तिमुथियुस और मैंने जिस ख़ुदा के बेटे हुज़ूर ईसा अलमसीह की मुनादी तुम्हारे दरमियान की है उस में कोई “हां” ऐसी न थी जो “नहीं” में बदल सकती थी। बल्के उस की “हां” हमेशा “हां” ही रही।


ऐसे लोग झूटे रसूल हैं और दग़ाबाज़ी से काम लेते हैं, वह चाहते हैं के वह भी अलमसीह के रसूलों की तरह दिखाई दें।


क्यूंके मुझे डर है के वहां आकर में जैसा चाहता हूं तुम्हें वैसा न पाओ। और मुझे भी जैसा तुम चाहते हो वैसा न पाऊं, मुझे अन्देशा है के कहीं तुम में लड़ाई झगड़े, हसद, ग़ुस्सा, तफ़्रिक़े, बदगोई, चुग़लख़ोरी, शेख़ी और फ़साद न हों।


क्यूंके हम अपनी नहीं, बल्के अलमसीह ईसा की मुनादी करते हैं के वोही ख़ुदावन्द हैं, और अपने हक़ में यही यह कहते हैं के हम अलमसीह की ख़ातिर तुम्हारे ग़ुलाम हैं।


ख़तना का सवाल उन मसीही मुनाफ़क़ीन की तरफ़ से उठाया गया था, जो चुपके से हम लोगों में दाख़िल हो गये थे ताके अलमसीह ईसा में हासिल हुई उस आज़ादी की जासूसी कर के, हमें फिर से यहूदी रस्म-ओ-रिवाज का ग़ुलाम बना दें।


तफ़्रिक़ा और फ़ुज़ूल फ़ख़्र के बाइस कुछ न करो। बल्के फ़रोतन होकर एक शख़्स दूसरे शख़्स को अपने से बेहतर समझे।


इस में कोई शक नहीं के हक़ीक़ी दीनदारी का सरचश्मा अज़ीम है यानी: वह जो जिस्म में ज़ाहिर हुए, और पाक रूह के वसीले सादिक़ ठहरे, और फ़रिश्तों को दिखाई दिये, ग़ैरयहूदियों में उन की मुनादी हुई, और सारी दुनिया में लोग उन पर ईमान लाये, और ख़ुदा ने हुज़ूर ईसा को अपने साथ रहने के लिये जलाल में आसमान पर उठा लिया।


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