मैं तुमसै कैरओ हौं, इसई तरै जब कोई एक भटको भओ पापी, परमेसर की ओर लौहट आवै है तौ सुरग मै इत्ती खुसी होवै है जितनी कै उन निन्नियानबे लोगौं के ताँई ना होवै है जो धरमी हैं, जो भटके भए ना हैं।”
हे मेरे पियारे भईयौ, मेरी इच्छा है कै मैं तुमसै मिलौं कैसेकै तुम मेरी खुसी, और मेरी इज्जत हौ, और तुमकै जैसो मैंनै बताऔ है, परभु मै तुम बैसेई पक्के बने रौह।
मैं अबी तुमसै भौत दूर हौं पर दिल सै तुम लोगौ के संग हौं और मैंकै जौ बात सुनकै भौत खुसी होवै है कै, तुम अपनी जिन्दगी मै नियम सै चल रए हौ और तुमरो बिसवास मसी मै पक्को है।