प्रकाशितवाक्य 2:10 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान10 ज़ुंण दुख ताह भुगतणै, तेता का निं डरी, किल्हैकि भाल़ै, राख्सा आसा तम्हां मांझ़ै कई लाऐ दै कैद खानै दी पाई ताकि तम्हां परखी सके; तम्हां लागणअ दसा धैल़ै सांगट ज़िरनअ, प्राण दैणैं तैणीं रहै विश्वासी बणीं, तै दैणअ मुंह ताल्है ज़िन्दगीओ मुगट।’ (याकूब 1:12) See the chapterकुल्वी10 ज़ो दु:ख तौभै झेलणै पौड़नै तिन्हां न मत डौरदा: किबैकि शैतान तुसा न केतरै बै ता जेला न पाणै आल़ा सा कि तुसै परखिलै, होर तुसाबै दस रोज़ा तैंईंयैं दु:ख च़कणा पौड़ना, पर तुसै मारै ज़ाणै पैंधै भी मूँ पैंधै कैधी बशाह मता छ़ौड़दै, किबैकि मूँ तुसाबै हमेशै री ज़िन्दगी, तुसरी जीता रा ईनाम देणा। See the chapterईनर सराजी मे नया नियम10 जोह दुःख ताह पेन्दे हुणे, तेता का नांई डरे । किबेकी हेरे शैताना तमा में का एखा जेला में पाउणे आलअ साहा, की तमे परीखणे, होर तमा दस धयाडी तक दुःख भी सहन करना भी हुणा, तेबा तमे प्राण नाहणे तक बुशाह लायक रहले, तेबा महा तमाबे जीबना रअ मुकुट दीणअं See the chapter |