प्रकाशितवाक्य 15:4 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान4 “हे प्रभू, तेरी डरा हेठै लागा सोभी रहणअ, तेरै नांओंए ज़ै ज़ैकार करनी सोभी, किल्हैकि सिधअ तूह ई आसा पबित्र और सोभी ज़ाती टेकणअ ताह सेटा एछी करै ताह सेटा माथअ। किल्हैकि तेरै न्याय हणें काम हुऐ प्रगट।” (भज़न 86:9; यिर्मयाह 10:7; मलाकी 1:11) See the chapterकुल्वी4 “हे प्रभु तौ न कुणी नी डौरना? होर तेरै नाँ री आराधना नी केरनी? किबैकि सिर्फ़ तू पवित्र सा, होर सारी ज़ाति एज़िया तौ सामनै दण्डवत् केरना, किबैकि तेरै न्याय रै कोम प्रगट हुऐ सी।” See the chapterईनर सराजी मे नया नियम4 हे प्रभु, कूण ताका नांई डरा? होर तेरे ना री महिमा नाही करले? किबेकि सिर्फ तूह पवित्र साहा, होर सारी जातिया तहा सेटा हाथ ज़ोडने नमस्ते करने, किबेकि तेरे धर्मा रे काम प्रगट होई दे साहा। See the chapter |