फिलिप्पी 4:3 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान3 हे मेरै शुचै साझ़ू हुंह करा ताखा अरज़ कि तूह कर तिन्नां ज़नानीए सुल्है करना लै मज़त। किल्हैकि तिन्नैं आसा मुंह संघै खुशीए समादा कई ज़ैगा पजैल़णां लै क्लेमेंस और मेरै तिन्नां होरी संघा काम करनै आल़ै संघै बडी मैन्थ की दी, ज़सरै नांअ ज़िन्दगीए कताबा दी आसा लिखै दै। See the chapterकुल्वी3 होर हे सच़ै सैंघी, हांऊँ तौ न अर्ज़ा केरा सा, कि तू तिन्हां बेटड़ी री मज़द केर। किबैकि इन्हैं मूँ सैंघै खुशी रा समाद फेलाणै न, कलेमेंस होर मेरै तिन्हां सैंघी सैंघै मेहनत केरी सा, ज़ुणिरै नाँ ज़िन्दगी री कताबा न लिखै सी। See the chapterईनर सराजी मे नया नियम3 हे सच्चे सहकर्मियों, हाऊं ताहका भी बिनती करा, कि तुह त्याह बेटड़ी री सहायता करे, कि त्याह मांई संघा सुसमाचार फलाउणे में, क्लमेंस होर मेरे होरी सहकर्मी समेत परिश्रम करू, ज़ासका ना जीबना री कताबा में लिखी दे साहा। See the chapter |
“ज़हा पशू तूह एभै भाल़अ आसा लागअ द, अह रहा त पैहलै पर ऐबै निं रहणअ, अह निखल़णअ नथहऐ कूंडा का बागै और परमेशरा करनअ अह ऐबै सदा लै खतम। तेखअ पृथूई दी रहणैं आल़ै ज़सरै नांअ संसारे मूल़ हणें बगती ज़िन्दगीए कताबा दी निं आथी लिखै दै, ज़ांऊं तिन्नां एऊ पशूए दशा भाल़णीं ता तिंयां प्राछणैं। अह रहा त पैहलै और एभै निं अह आथी पर अह एछणअ एकी बारी भी। (प्रगट की दी गल्ला 17:11)
तेखअ भाल़ै मंऐं मूंऐं दै लोग, कै होछ़ै कै बडै तिंयां तै राज़गादी आजू खल़्हुऐ दै। ज़ुंण मूंऐं दै लोग समुंदरै आसा डुबै दै, ज़ुंण मरी करै घोरी आसा दाबै दै, तिंयां सोभै लोग ज़ुंण मूंऐं दै रहणें ज़ैगा आसा तिंयां सोभ खल़्हुऐ राज़गादी सम्हनै। तेखअ खोल्ही तिधी ज़िन्दगीए कताब और होर बी कई कताबा। मूंऐं दै मणछो न्याय हुअ तिन्नें तेसा कताबा दी लिखै दै तेते साबै ज़ुंण तिन्नैं आपणीं ज़िन्दगी दी किअ। तिन्नों न्याय हणअ तिन्नें कामें साबै। (दानिएल 7:10)