फिलिप्पी 2:3 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान3 बरोध और झ़ुठी बड़ाई लै निं किछ़ै करा पर मानदार मनैं समझ़ा एकी दुजै आप्पू का बधिया। See the chapterकुल्वी3 जलन केरनु आल़ै या घमण्डी मत बणा, पर दीन बणा होर एकी-दुज़ै बै आपु न बढ़िया समझा। See the chapterईनर सराजी मे नया नियम3 बिरोध होर झूठी बड़ाई री तणी किछे नांई करे, पर दीनता का एक दूजे आपु का शोभले समझा। See the chapter |