1 पतरस 3:7 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान7 तिहअ ई ओ मर्धो, तम्हैं बी ज़िऊआ आपणीं बेटल़ी संघै जोग-सजोग डाही आपणीं लाल़ी संघै ज़िन्दगी। तम्हैं डाहणीं अह गल्ल आद कि तिंयां निं तम्हां ज़ेही पाक्की आथी। तैही करनअ तिन्नों अदर। किल्हैकि परमेशरै ज़ुंण दान आपणैं जशा करै आसा दैनअ द, तम्हैं आसा दुहै तेथ साझ़ू, और सह आसा सदा लै ज़िन्दगी। तम्हैं करै इहअ तै कि ज़ेभै तम्हैं प्राथणां करे तेभै परमेशर थारी शुणें। See the chapterकुल्वी7 तैण्ढाऐ ओ लाड़ैओ, तुसै भी समझ़दारी न आपणी लाड़ी सैंघै ज़िन्दगी गुज़ारा, होर बेटड़ी बै कमज़ोर ज़ाणिया तेसरा आदर केरा, ऐ समझ़िया कि आसै दुऐ ज़िन्दगी रै वरदानै रै वारिस सी, ज़ुणीन तुसरी प्रार्थना नी लोड़ी रूकी। See the chapterईनर सराजी मे नया नियम7 तेडे ही मर्दों, तमे भी बुद्धि बेटड़ी संघा निर्बल पात्र जाणी करे तेसका आदर करा, यह समझी करे कि हामे दुहे जीबना रे बरदाना रे बारिस साहा जासु का थारी प्रार्थना रा अनुग्रह नांई रुके। See the chapter |