मी तुमी लक सांगसू, असोच एक पाप लक मन ला हटाव अना पस्तावा करन वालो, पापी को बारे मा सरग मा इतरोच खुसी होवासे, जितरो की 99 असो न्यायी को बारे मा नही होवासे। जोन ला मन बदलन को जरूरत नही सेती।
काहेका मि तुम लक कई लोक खोटो चालचलन राखसेत। पुढा कई गन कव्ह चुकी सेऊ अना अबा भी रोय-रोय के कव्हसू की असा लगत सेत, जोन आपरो चाल चलन अना सुभाव लक मसीह को कूरूस को दुस्मन सेत।