“यदि कोई मोरो नजीक आय, अर अपनो बाप अर माय अर घरवाली अर पोरिया हुन अर भई हुन अर बहिन हुन वरन् अपनो प्रायन को भी चोक्खो नी जानो, ते वी मोरो चेला नी हो सकत;
“मालिक न उ अधर्मी भण्डारी को सराहो कि ओ न चतुराई से काम कियो हैं, काहेकि इ दुनिया को लोग अपनो बखत ख लोग हुन को संग रीति-व्यवहारो म ज्योति को लोगो से अधिक चतुर हैं।”