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फिलिप्पियो 2:3 - परमेस्वर को सच्चो वचन ख जाननू

3 विरोध या झूठी बड़ाई का लाने कई नी कर, पर नम्रता से एक दूसरो ख अपनो से अच्छो समझे।

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Halbi

3 बिरूद नाहले झूठा बड़ाई चो काजे काई नी करा, मान्तर दिनता ले गोटक दुसर के आपलो ले अच्छा समजा।

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फिलिप्पियो 2:3
24 Cross References  

मी तोसे कहूँ हूँ कि उ दुसरो नी, परन्तु यू ही अदमी धर्मी ठहरायो जा ख अपनो घर गयो; काहेकि जे कोई अपनो तुम का बड़ो बनाएगो, उ छोटो कियो जाएगो; अर जे अपनो तुम ख छोटो बनाएगो, उ बड़ो कियो जाएगो।”


भई म जसो प्रेम होवा हैं वसो ही एक दुसरा से प्रेम रख आपस म एक दुसरा आदर कर। अर एक दुसरा से चढ़ कर।


जसो दिन ख अच्छो देवा हैं, असो ही हम सिधी चाल चले, नी की लीला-क्रीड़ा अर पियक्कड़ पन म, नी छिनालापन अर भोग विलास, अर झगड़ा अर जलन से दूर रह।


परन्तु जे लोग हुन जे स्वार्थी कि खोज म रहन हैं अऊर सच्चाई कि खोज नी कर हैं, अर अधर्म पर चल हैं। अर ओ पर गुस्सा अर जादा भड़का पड़ेगो।


काहेकि मी प्रेरित हुन म सब से छोटो हैं, प्रेरित कहन का लायक भी नी हूँ, काहेकि मी न परमेस्वर कि कलीसिया ख परेसान करियो हतो।


काहेकि अब तक सारीरिक हैं। एकोलाने कि जब तुम म जलन अऊर लड़ाई हैं, ते का तुम सारीरिक नी हैं? अऊर का अदमी कि रिती रिवाज पर नी चल हैं?


काहेकि मोखा डर हैं, कही असो नी हो कि मी आन पर मी तुम लोग हुन को जसो मिलो चाह हैं, पर वसो ही तुम ख पाए; अऊर कही असो नी होऐ कि मी तुमारो यहाँ फूट, जलन अर बुराई अर स्वार्थ पन अर अर तुम म लड़ाई, डाह, घुसा, जलन, चुगली, घमण्ड अर बखेड़ा होवा हैं;


पर अदि तुम एक दुसरा ख दाँत से चाबा अर फाड़ खावा हैं, ते सतर ख रहनु कि एक दुसरो को सत्यानास नी कर देनू।


हम घमण्डी हो ख नी एक दुसरा ख छेडे, अऊर न एक दुसरो जलान से जलान करे।


तुम पुरो तरीका से विनम्र, सैयम अर सहनसील बने, प्रेम से एक दुसरा ख सैय लेव


मसी को डर से एक दुसरा को बस म रहो।


सब काम बिना कुडकुडाए अर बिना लडाई का कियो कर,


ऐको लाने परमेस्वर को चुनयो हुओ को जसो जे सुध्द अर प्यारो हैं, बडी करुना अर दया अर दीनता अर धीरज, अर सहनसीलता धारण करे,


पर अब तुम भी इ सब ख, अर्थात् गुस्सा, कड़वाहट दुसमनी भाव, बुराई अर मुँह से गाली देनो यी सब बात छोड़ देवो।


ते उ घमंडी हो गयो, अर कही नी जानन; पर ओ ख विवाद अर सब्द प नींद म बोलन को रोग हैं, जसो डाह, अर झगड़ा, अर बुराई की बात, अर बुरो-बुरो सन्देह,


अब: सब झन एक मन अर कृपामय अर भई चारा हुन को रखन वाली, अर करूनामय अर सिधो बनो।


यू ही तीरका अरे जवान हुन, तुम भी सियाना जमाना का अदमी हुन का बस म रहो, पर तुम सारा का सारा एक दुसरा कि सेवा का लाने नम्रता से कमर बाँधी रहो, काहेकि “परमेस्वर घमण्डी हुन को विरोध करह आय, जब कि दया करन वालो पर अपनी दया दिखाव हैं।”


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