“नमक अच्छो हय, पर यदि नमकपन को स्वाद खोय देवय हय, त ओख फिर सी कसो नमकीन करो? “आपस म दोस्ती को नमक रखे, अऊर आपस म मिलझुल क अऊर एक दूसरों सी शान्ति सी रहे।”
हे भाऊवों अऊर बहिनों, मय तुम सी हमरो प्रभु यीशु मसीह को नाम सी बिनती करू हय कि तुम सब एकच बात कहो, अऊर तुम म फूट नहीं होय, पर एकच मन अऊर एकच मत होय क मिल्यो रहो।