हम फिर भी अपनी बड़ायी तुम्हरो आगु नहीं करजे, बल्की हम अपनो बारे म तुम्ख घमण्ड करन को अवसर देजे हंय कि तुम उन्ख उत्तर दे सको, जो मन पर नहीं बल्की दिखावटी बातों पर घमण्ड करय हंय।
कहालीकि यदि मय न ओको आगु तुम्हरो बारे म कुछ घमण्ड दिखायो, त शर्मिन्दा नहीं भयो, पर जसो हम न तुम सी सब बाते सच-सच कह्य दियो होतो, वसोच हमरो घमण्ड दिखानो तीतुस को आगु भी सच निकल्यो।
मय प्रभु म बहुत खुश हय कि अब इतनो दिन को बाद तुम्हरी चिन्ता मोरो बारे म फिर सी जागृत भयी हय; निश्चय तुम्ख सुरूवात म भी येको बिचार होतो, पर ओख प्रगट करन को अच्छो अवसर नहीं मिल रह्यो होतो।