पौलुस न कह्यो, “परमेश्वर सी मोरी प्रार्थना हय कि का थोड़ो म का बहुत म, केवल तयच नहीं पर जितनो लोग अज मोरी सुनय हंय, इन बन्धनों ख छोड़ हि मोरी जसो होय जाये।”
तीन दिन को बाद ओन यहूदियों को मुख्य लोगों ख बुलायो, अऊर जब हि जमा भयो त उन्को सी कह्यो, “हे भाऊ, मय न अपनो लोगों को या बापदादों को व्यवहार को विरोध म कुछ भी नहीं करयो, तब भी बन्दी बनाय क यरूशलेम सी रोमियों को हाथ सौंप्यो गयो।
मोख यो उचित लगय हय कि मय तुम सब लायी असोच बिचार करू, कहालीकि तुम मोरो मन म बैठ्यो हय, मय कैद म हय तब भी अऊर सुसमाचार लायी उत्तर अऊर प्रमान देन म तुम सब मोरो संग अनुग्रह म सहभागी हय।