15 हे फिलिप्पी, तुम जानथा, संदेस के परचार उन सुरु रोज हे जब मै मकिदुनिया के छांडे रहों, ता लैय देय के बारे हे तुम्हर मंडली के छांडके कउनो अउ मंडली मोर मदद नेहको करिन।
तुम सब के बारे हे मोर निता असना सोंच बढिहा हबै, काखे तुम सब मोर मन हे बसे हबा, अउ न बलुक तब जब मै जेल हे बेडररे रहों, तबो मै संदेस के सत्य के मदत करत ओखर परतिस्ठा हे लगे रहों, तुम सब ई खासके मोर संग अनुगरह हे सहभागी रहे हबा।
हे पिरिया मोर भाई बेहन जउन मेर तुम हरमेसा मोर बात मानत हबा, उहै मेर अब मोर उपस्थिति लग जादा मोर अनुपस्थिति हे अउ जादा खुसी लग तुम डरत कापत अपन मुकति के काम हे लगे रहा।