तुम जानथा कि हम कुछ टेम पहिले फिलिप्पी सहर हे बेकार बेउहार अउ बेज्जती सहै का पडे रथै तउभरमा हम अपन भगवान के उप्पर बिस्वास रखके, बोहत बिरोध के सामना करत हिम्मत के संग तुम्हर बीच भगवान के संदेस के सुनायन।
तुमके जउन परेसानी भोगै के होही ओखर लग झइ डर, भुतवा तुम्हर परिक्छा लेय के उदेस्य लग तुम्हर मसे कुछ मनसेन के जेल हे डाल देही अउ तुम दस रोज तक परेसानी हे पडे रइहा अउ जब तक तुम्हर मिरतू न आय जाय तब तक बिस्वास ओग हे बने रइहा अउ मै तुमके जीवन के मुकुट परदान करिहों।”