अन्तमे हमर पिरिय भाइ-भैयासब, आब हम बिदा हैत बेर, तोरासबके यि कहैले चाहैचियौ, कि जीजानसे सिध हैले कोसिस कर। हमर बिन्ती सुन, एक-दोसरके बात सुन आ सान्तीमे रह। सान्ती आ परेम दैबला परमेस्वर तोरासबसङे रहे।
अन्तमे, भाइ-भैयासब, जे बात सत छै, जे बात असल छै, जे बात नियाय संगत छै, जे बात पबितर छै, जे बात परेम योग्य छै, जे बात किरपाके योग्य छै, अरथात जे आदरके योग्य छै आ परसन्साके योग्य छै तैमे मन लगा।