फिलिप्पी 1:20 - ईनर सराजी मे नया नियम20 हाऊं तअ यह हार्दिक लालसा होर आशा डाहंदा कि हाऊं कासी भी गला में लज्जित नांई होए, पर जेड़ा मेरे प्रबल सहासा रे कारण मसीहा री बड़ाई मेरी देहा रे साबे सदा हूँदी रही, तेडा एबा भी हो चाहे हाऊं जिऊंदअ रहे या मरे। See the chapterबाघली सराज़ी नऊंअ बधान20 मुंह आसा एसा गल्लो च़ाअ और आशा कि ज़ुंण मुंह मसीहा लै करनअ लागा तेथ निं लोल़ी हुंह कधि शर्मिंदअ हुअ। पर ऐबै आसा मुंह एतरी हिम्मत कि ज़ेही मेरी देही करै परमेशरो अदर हंदअ रहअ तिहअ लोल़ी आजू बी हंदअ रहअ, च़ाऐ हुंह ज़िऊंदअ रहूं या मरूं। See the chapterकुल्वी20 हांऊँ ता दिला न इच्छा होर आशा रखा सा, कि मुँभै कोई गैला न शर्म नी लोड़ी हुई, पर मेरी बड़ी हिम्मतै री बजहा न मसीह री तारीफ़ मेरै शरीरा न होंदै रौहै, चाहै हांऊँ ज़िंदा रौहणु या मौरनु। See the chapter |