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फ़िलिप्पियों 4:18 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

18 मेरे पास सब कुछ है, बल्कि बहुतायत से है; तुम्हारी भेजी हुई चीज़ों इप्फ़्र्दितुस के हाथ से लेकर मैं आसूदा हो गया हूँ, वो ख़ुशबू और मक़बूल क़ुर्बानी हैं जो ख़ुदा को पसन्दीदा है।

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उर्दू हमअस्र तरजुमा

18 मेरे पास सब कुछ है बल्के कसरत से है। तुम्हारे भेजे हुए तोहफ़े इपफ़रुदितुस के हाथ से मुझे मिल गये हैं, और मैं और भी आसूदः हो गया हूं। यह ख़ुश्बू और क़ुर्बानी ऐसी है, जो ख़ुदा की नज़र में पसन्दीदा है।

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किताब-ए मुक़द्दस

18 यही मेरी रसीद है। मैंने पूरी रक़म वसूल पाई है बल्कि अब मेरे पास ज़रूरत से ज़्यादा है। जब से मुझे इपफ़्रुदितुस के हाथ आपका हदिया मिल गया है मेरे पास बहुत कुछ है। यह ख़ुशबूदार और क़ाबिले-क़बूल क़ुरबानी अल्लाह को पसंदीदा है।

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फ़िलिप्पियों 4:18
15 Cross References  

फिर इस पूरे मेंढे को क़ुर्बानगाह पर जलाना। यह ख़ुदावन्द के लिए सोख़्तनी क़ुर्बानी है। यह राहतअंगेज़ खु़शबू या'नी ख़ुदावन्द के लिए आतिशीन क़ुर्बानी है।


और ख़ुदावन्द के सामने आतिशी क़ुर्बानी, या'नी सोख़्तनी क़ुर्बानी या ख़ास मिन्नत का ज़बीहा या रज़ा की क़ुर्बानी पेश करो, या अपनी मु'अय्यन 'ईदों में राहतअंगेज़ ख़ुशबू के तौर पर ख़ुदावन्द के सामने गाय बैल या भेड़ बकरी चढ़ाओ।


दस मिस्क़ाल सोने का एक चम्मच जो ख़ुशबू से भरा था;


उसने उस को ग़ौर से देखा और डर कर कहा ख़ुदावन्द क्या है? उस ने उस से कहा, तेरी दु'आएँ और तेरी ख़ैरात यादगारी के लिए ख़ुदा के हुज़ूर पहुँची।


ऐ भाइयों! मैं ख़ुदा की रहमतें याद दिला कर तुम से गुज़ारिश करता हूँ कि अपने बदन ऐसी क़ुर्बानी होने के लिए पेश करो जो ज़िन्दा और पाक और ख़ुदा को पसन्दीदा हो यही तुम्हारी मा'क़ूल इबादत है।


मैंने और कलीसियाओं को लूटा या'नी उनसे उज्रत ली ताकि तुम्हारी ख़िदमत करूँ।


क्यूँकि इस ख़िदमत के अन्जाम देने से न सिर्फ़ मुक़द्दसों की ज़रूरते पूरी होती हैं बल्कि बहुत लोगों की तरफ़ से ख़ुदा की शुक्रगुज़ारी होती है।


और मुहब्बत से चलो जैसे मसीह ने तुम से मुहब्बत की, और हमारे वास्ते अपने आपको ख़ुशबू की तरह ख़ुदा की नज़्र करके क़ुर्बान किया।


मैं पस्त होना भी जनता हूँ और बढ़ना भी जनता हूँ; हर एक बात और सब हालतों में मैंने सेर होना, भूखा रहना और बढ़ना घटना सीखा है।


ऐ भाइयों! तुम्हारे बारे में हर वक़्त ख़ुदा का शुक्र करना हम पर फ़र्ज़ है, और ये इसलिए मुनासिब है, कि तुम्हारा ईमान बहुत बढ़ता जाता है; और तुम सब की मुहब्बत आपस में ज़्यादा होती जाती है।


नेज़, भलाई करना और दूसरों को अपनी बर्क़तों में शरीक करना मत भूलना, क्यूँकि ऐसी क़ुर्बानियाँ ख़ुदा को पसन्द हैं।


तुम भी ज़िन्दा पत्थरों की तरह रूहानी घर बनते जाते हो, ताकि काहिनों का मुक़द्दस फ़िरक़ा बनकर ऐसी रूहानी क़ुर्बानियाँ चढ़ाओ जो ईसा मसीह के वसीले से ख़ुदा के नज़दीक मक़बूल होती है।


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