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फ़िलिप्पियों 2:3 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

3 तफ़्रक़े और बेजा फ़ख़्र के बारे में कुछ न करो, बल्कि फ़रोतनी से एक दूसरे को अपने से बेहतर समझो।

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उर्दू हमअस्र तरजुमा

3 तफ़्रिक़ा और फ़ुज़ूल फ़ख़्र के बाइस कुछ न करो। बल्के फ़रोतन होकर एक शख़्स दूसरे शख़्स को अपने से बेहतर समझे।

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किताब-ए मुक़द्दस

3 ख़ुदग़रज़ न हों, न बातिल इज़्ज़त के पीछे पड़ें बल्कि फ़रोतनी से दूसरों को अपने से बेहतर समझें।

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फ़िलिप्पियों 2:3
24 Cross References  

तकब्बुर से सिर्फ़ झगड़ा पैदा होताहै, लेकिन मश्वरत पसंद के साथ हिकमत है।


“मैं तुम से कहता हूँ कि ये शख़्स दूसरे की निस्बत रास्तबाज़ ठहरकर अपने घर गया, क्यूँकि जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा वो छोटा किया जाएगा और जो अपने आपको छोटा बनाएगा वो बड़ा किया जाएगा।”


बिरादराना मुहब्बत से आपस में एक दूसरे को प्यार करो इज़्ज़त के ऐतबार से एक दूसरे को बेहतर समझो।


जैसा दिन को दस्तूर है संजीदगी से चलें न कि नाच रंग और नशेबाज़ी से न ज़िनाकारी और शहवत परस्ती से और न झगड़े और हसद से।


मगर जो ना इत्तफ़ाक़ी अन्दाज़ और हक़ के न माननेवाले बल्कि नारास्ती के माननेवाले हैं उन पर ग़ज़ब और क़हर होगा।


क्यूँकि मैं रसूलों में सब से छोटा हूँ, बल्कि रसूल कहलाने के लायक़ नहीं इसलिए कि मैने ख़ुदा की कलीसिया को सताया था।


क्यूँकि अभी तक जिस्मानी हो इसलिए कि जब तुम मैं हसद और झगड़ा है तो क्या तुम जिस्मानी न हुए और इंसानी तरीक़े पर न चले?


क्यूँकि मैं डरता हूँ कहीं ऐसा न हो कि आकर जैसा तुम्हें चाहता हूँ वैसा न पाऊँ और मुझे भी जैसा तुम नहीं चाहते वैसा ही पाओ कि तुम में, झगड़ा, हसद, ग़ुस्सा, तफ़्रक़े, बद गोइयाँ, ग़ीबत, शेख़ी और फ़साद हों।


लेकिन अगर तुम एक दूसरे को फाड़ खाते हो, तो ख़बरदार रहना कि एक दूसरे को ख्त्म न कर दो।


हम बेजा फ़ख़्र करके न एक दूसरे को चिढ़ाएँ, न एक दूसरे से जलें।


या'नी कमाल दरियाई और नर्मदिल के साथ सब्र करके मुहब्बत से एक दुसरे की बर्दाश्त करो;


और मसीह के ख़ौफ़ से एक दुसरे के फ़रमाबरदार रहो।


सब काम शिकायत और तकरार बग़ैर किया करो,


ख़ुदा ने तुम को चुन कर अपने लिए ख़ास — और पाक कर लिया है। वह तुम से मुहब्बत रखता है। इस लिए अब तरस, नेकी, फ़रोतनी, नर्मदिल और सब्र को पहन लो।


लेकिन अब वक़्त आ गया है कि तुम यह सब कुछ यानी ग़ुस्सा, तैश, बदसुलूकी, बुह्तान और गन्दी ज़बान ख़स्ताहाल कपड़े की तरह उतार कर फेंक दो।


वो मग़रूर है और कुछ नहीं जानता; बल्कि उसे बहस और लफ़्ज़ी तकरार करने का मर्ज़ है, जिनसे हसद और झगड़े और बदगोइयाँ और बदगुमानियाँ,


ग़रज़ सब के सब एक दिल और हमदर्द रहो, बिरादराना मुहब्बत रख्खो, नर्म दिल और फ़रोतन बनो।


ऐ जवानो! तुम भी बुज़ुर्गों के ताबे' रहो, बल्कि सब के सब एक दूसरे की ख़िदमत के लिए फ़रोतनी से कमर बस्ता रहो, इसलिए कि “ख़ुदा मग़रुरों का मुक़ाबिला करता है, मगर फ़रोतनों को तौफ़ीक़ बख्शता है।”


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