4 परबु को संगरो राख'र सदाई राजी-खुसीऊँ रेह्ओ, म ओज्यु थानै खेऊँ हूँ, राजी-खुसीऊँ रेह्ओ।
जणा थे राजी होज्यो क्युं क ईस्बर नगरी म थानै इको फळ मिलसी। क्युं क बे तो परमेसर की खेबाळानै बी जखा थारूँ पेली हा बानै बी अंय्यांई सताया हा।
आदी रातनै पोलुस अर सीलास अरदास अर परमेसर का भजन गाबा लागर्या हा अर बानै सगळा केदि सुणर्या हा।
बे राजी-खुसी पंचायतऊँ चलेगा क्युं क ईसु नामऊँ परमेसर बानै पिड़ा अर बेजती भोगबा जोगा समज्या।
आस म राजी रेह्ओ, पिड़ा म थ्यावस राखो, लगातार अरदास करता रेह्ओ।
म्हारा हिया म पिड़ा ह पण म्हें सदाई राजी रेह्वां हां, म्हें कंगला की जंय्यां दिखां हां पण ओरानै पिसाळा बणा देवां हां, म्हें रिता हात दिखां हां पण म्हारै कनै सक्यु ह।
पण जखा बी थानै म्हारा सुणाईड़ा चोखा समचार क अलावा दुसरो समचार सुणावै ह चाए फेर बे म्हें हो नहिस ईस्बर नगरी दुत हो बे नरक का भागी होसी।
बंय्यांई थानै बी राजी होणो चाए अर थारी खुसी को बाटो मेरै सागै करबो चाए।
आखीर म, मेरा लाडला बिस्वास्यो, परबु म राजी होता रह्यो। थानै अ बाता ओज्यु मांडबा म मनै तो कोई आट कोनी, अर ज म अंय्यां मांडूँ बी हूँ जणा आऊँ थारो बचावई होसी।
पण राजी होवो क थानै मसी की जंय्यां दुख भोगबा को मोको मिल्यो। आ बात थानै बि बडी खुसी ताँई त्यार करसी जखी मसी जि दिन आपकी मेमा क सागै आसी जणा होसी।