25 म पक्कोई आ जाणू हूँ क म जिंदो रेहस्युं। अर थारा बिस्वास अर आनंदनै बढाबा ताँई थारै सागैई रेहस्युं।
पण म तेरै ताँई परमेसरऊँ अरदास करी ह की तेरो बिस्वास बण्यो रेह्वै अर जद तू पाछो जीवन का गेला प आवै जणा तेरा भाई-भाणानै बिस्वास म पक्को करजे।”
बरनाबास बठै परमेसर की दयानै देखर राजी होयो। अर बानै उपदेस दिओ की तन मनऊँ बिस्वास जोगा अर परमेसर म बण्या रेह्ओ।
अर चेलानै समजाता अर हिमत बंधाता हा क, “बिस्वास म बण्या रेह्ओ अर परमेसर का राज म बड़बा ताँई आपानै बोळा दुख भोगणा पड़सी।”
अर इब म थानै बताबो चाऊँ हूँ क थे सगळा जणा जाकै मांयनै म परमेसर का राज क बारां म सुणायो हूँ मेरो मुंडो ओज्यु कोनी देखस्यो।
थारै बिस्वास गेल थानै आस देबाळो परमेसर थानै सुक-स्यांती अर खुसीऊँ भर देवै। जिऊँ पबितर आत्मा की सक्तिऊँ थारी आस बढती जावै।
क्युं क म खाली बा बातानै करबाकी हिमत करूं हूँ जानै मसी, गैर-यहूदि मिनखानै परमेसर का हुकमानै मानबा ताँई बचन, करम,
अर म जाणू हूँ क जद म थारै कनै आस्युं जणा मेरै सागै मसी का खूब आसिरबाद बी ल्यास्युं।
बिस्वास की बजेऊँ बो आपानै परमेसर की दया म ल्यायो जिमै आपा इब जिर्या हां अर परमेसर की मेमा की आस प गुमान करां हां।
अर इको ओ मतबल कोनी क म्हें थारा मालिक हां जखा थानै खेवां क थारो बिस्वास कंय्यां को होवै। पण म्हें तो थारी खुसी ताँई थारै सागै काम करां हां, क्युं क थे बिस्वास म मजबूत हो।
पण काया म मेरो जिबो थारै ताँई जरूरी ह।
अर परबु प मनै पक्को भरोसो ह क म बी बेगोई थारै कनै आजास्युं।
मेरै ताँई एक कोठो त्यार राखजे, क्युं क मनै आस ह की थारी अरदास की बजेऊँ थारूँ मिलस्युं।
थे बिनै बिना देख्याई परेम करो हो, अर अठै ताँई बिनै बिना देख्या बिपै बिस्वास कर अंय्यां राजी होवो हो, जिको बखान कोनी कर्यो जा सकै। अ बाता मेमाभरी ह।