फलिपी 1:20 - जीवन को च्यानणो (सेकावाटी नया नियम की पोथ्या)
20 मेरी दिली इंछ्या अर आस ह क, म कदैई मेरा काम म सरमिंदा नइ होऊँ, पण हर टेम अर खासकर इब म हिमतऊँ भरज्याऊँ जिऊँ चाएस म जीऊँ अर मरूँ बस मेरी काया क जरिए मसी की मेमा होवै।
पण मनै मेरी ज्यान की परवा कोनी म तो बस मेरी भाग दोड़नै पूरी करबो चाऊँ हूँ। अर परमेसर की दया का चोखा समचार सुणाबा को काम जखो परबु मनै सूप्यो ह बिनै पूरो करबो चाऊँ हूँ।
पण पोलुस बाऊँ बोल्यो, “थे ओ काँई करो हो? आ ढंगा रो-रोर थे मेरो मन कचो करो हो, म तो परबु ईसु का नामऊँ यरूसलेम म खाली बंदि बणबा ताँई नइ पण मरबा ताँई बी त्यार हूँ।”
थारी काया का अंगानै अधरम का सादन होबा ताँई पाप क हाता म मना द्यो, पण मरेड़ा मऊँ जी उठबाळा की जंय्यां परमेसर क हाता म द्यो। अर थारी काया का अंगानै धरम का सादन होबा ताँई परमेसरनै सूप द्यो।
अर अंय्यां करबाऊँ बिको जीवन दो हिस्सा म बट जावै ह। अर अंय्यांई कुंआरी छोरी क सागै ह। एक कुंआरी छोरी परबु की चिंत्या म रेह्वै ह जिऊँ बा आत्मा म अर काया म पबितर हो सकै। पण एक ब्याईड़ी लूगाई इ दुनिया की बाता म मगन रेह्वै ह अर आ चावै ह क म मेरा मोट्यारनै कंय्यांसिक राजी राखूँ।
थारो बिस्वास परमेसर क सामै बलि अर याजक की सेवा जंय्यां को ह अर इ बलि प ज मेरो लोय बी चढाणो पड़ै जणा म इ बात ताँई राजी हूँ अर आ खुसी म था सगळा क सागै बाटर्यो हूँ।