पोलुस बोल्यो, “के थोड़ो टेम, के बोळो, पण म तो परमेसरऊँ आई अरदास करूं हूँ क थे अर जत्ता बी मनै आज अठै सुणी हीं बे जि साँकळाऊँ म बंदर्यो हूँ आनै छोडर बाकी बाता म मेरै जंय्यां का होज्यावै।”
थारै बारां म अंय्यां सोचबो मेर ताँई सई ह, क्युं क थे मेरा काळज्या म बसर्या हो। बि सोभाग म थे सगळा पाँतीवाळ हो जखो परमेसर मनै दिओ, चाएस म जद अब जेळ म हूँ अर नहिस जद म अजादिऊँ चोखा समचार क सच को सबूत देर बिनै पुक्ता करबा म लागर्यो हो।