पण मूँ आपणाँ जीव ने कई ने हमजूँ। मूँ तो बेस वीं दोड़ अन सेवा का काम ने पूरो करणो छारियो हूँ, जिंने में परबू ईसुऊँ पाई हे, जो परमेसर की करपा का हव हमच्यार की गवई देणो हे।”
जटा तईं मारी बात हे तो, मारा नके ज्यो कई भी हे, वींने थाँका वाते राजी वेन खरच करूँ अटे तईं के, मूँ खुद ने भी थाँका वाते दी देऊँ। यद्याँ मूँ थाँकाऊँ घणो परेम करूँ हूँतो थाँ कई माराऊँ कम परेम करो?
थाँको विस्वास ज्यो परमेसर के चड़ी तकी बली अन सेवा के जस्यान हे, वींका वाते यद्याँ मने मारो लुई भी वेवाड़णो पड़े तद्याँ भी मूँ राजी हूँ अन थाँ हाराई का हाते खुसी मनाऊँ हूँ।
मूँ परबू में घणो राजी हूँ के, अबे अतरा दनाँ केड़े थाँ मारा बारा में होच्यो हे। मूँ ओ ने कूँ के, थाँ मारा बारा में होचणो छोड़ दिदो हे। पण मूँ जाणूँ हूँ, थाँने ओ करबा को मोको ने मल्यो।