4 परबु का गठजोड़ म सदाई राजी रेवो। मं फेर खेर्यो छु, राजी रेवो।
ज्दया राजी होर मोज करज्यो, क्युं क सरग मं थान्अ घणुसारो फळ मल्अलो। जिसुं क वे वां परमेसर की ओड़ी सुं बोलबाळा न्अ ज्यो थासुं पेली छा अस्यान'ई सताया छा।”
अन्दाजन आधी रयात की पौलुस अर सिलास परातना कर्या अर परमेसर की महमा का भजन गारया छा अर दूसरा केदी बान्अ सुणरया छा।
अर थरपेड़ा यहूदी महासभा मंसुं राजी-खुसी सुं बारे आग्या क्युं क परमेसर बान्अ ईसु का नांऊ सुं अपमान अर दुख-भोगबा जस्यान को गण्यो।
आस मं राजी रेवो। दुखा मं थरचा राखो अर हर बगत परातना करता रेवो।
म्हाका मन दुखी छ पण सदाई राजी रेवां छा, मै कंगला की जस्यान छा पण दूसरा मनखा न्अ पिसाळा बणा देवा छा, म्हे रिता हाथा दीखां छा पण म्हारअ कन्अ सब कुछ छ।
पण छाव्अ आपा होवां या फेर कोई सरगदूत, ज्यो थान्अ म्हासुं सुणाया गिया चोखा समचार सुं न्यारो चोखो समचार सुणाव छ तो उंको नास जावलो।
अस्यान थे बी राजी रेवो अर म्हारी लार आण्द मनाओ।
आखरी मं ओ म्हारा भायाओ, परबु सुं थांका गठजोड़ मं राजी रेवो। बाई बाता न्अ बार-बार माण्ढबा मं मन्अ तो जोर कोन्अ आव्अ क्युं क यो थांकी रुखाळी करअलो।
पण जस्यान-जस्यान मसी का दुखा मं सीरी होवो छो, आण्द करो, जिसुं बीकी मेमा परकट होबा की बगत बी थे आण्द करो अर राजी होवो।