म्हारी परमेसर सुं अरदास छ क थांका मन की आंख्या खुल जाव्अ जिसुं थे जाण सको क जी आस ताणी थान्अ वो बलायो छ अर जी पांती न्अ वो खुदका सबळा पवितर मनखा न्अ देव्अलो, बा कतरी महान अर अनमोल छ।
मसी का सन्देस न्अ थांका हरदा मं भरपुरी सुं बसबा द्यो। पूरी समझ की लार एक-दूसरा न्अ सखावो अर चेताओ। परमेसर का भजन, महमा का गीत अर आत्मिक गीत धन्यवाद की लार गाता रेवो।