अब म थारअ कन्अ आर्यो छु, म संसार मं ओर कोन्अ रेऊलो, पण ये संसार मं रेव्अला। ह पवितर बाप! थारा नांऊ की सक्ति सुं बाकी रुखाळी कर। ज्यो नांऊ तु मन्अ दियो छ, जिसुं वे बी एक हो सक्अ जस्यान तु अर म एक छा।
बस्वास्या की टोळी रुपी काया को मुखियो मतबल माथो वोई छ। वोई सरूवात छ अर मरया पाछ्अ फेर जीवता होबाळा मं सुं पेलो बी वोई छ। जिसुं सबळी बाता मं पेली उन्अई ठार मल्अ छ।
अर बस्वास का मालिक अर बस्वास न्अ सिद्ध करबाळा ईसु की ओर न्हाळता रेवां। ज्योबी खुसी क ताणी ज्यो बीक्अ आग्अ मली छ लाज की कांई बी परवा कर्या बना करूस को दुख सह लियो। अर सिंहासन माळ्अ परमेसर की जीवणी-बगल जा बेठ्यो।
पण आपा ईसु न्अ ज्यो सरगदूता सुं थोड़ोई कम कर्योग्यो छो, बीन्अ मोत की पीड़ा भोगबा की बजेसुं महमा अर आदर को मुकुट पेर्यो देखां छा। क परमेसर की दीया सुं हरेक मनख बेई मोत को सुवाद चाख्अ।