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फ़िलिप्पियों 4:20 - किताब-ए मुक़द्दस

20 अल्लाह हमारे बाप का जलाल अज़ल से अबद तक हो। आमीन।

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

20 हमारे ख़ुदा और बाप की हमेशा से हमेशा तक बड़ाई होती रहे आमीन

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उर्दू हमअस्र तरजुमा

20 हमारे ख़ुदा और बाप की हमेशा तक तम्जीद होती रहे। आमीन।

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फ़िलिप्पियों 4:20
19 Cross References  

ऐ रब, हमारी ही इज़्ज़त की ख़ातिर काम न कर बल्कि इसलिए कि तेरे नाम को जलाल मिले, इसलिए कि तू मेहरबान और वफ़ादार ख़ुदा है।


उसके जलाली नाम की अबद तक तमजीद हो, पूरी दुनिया उसके जलाल से भर जाए। आमीन, फिर आमीन।


और उन्हें यह सिखाओ कि वह उन तमाम अहकाम के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारें जो मैंने तुम्हें दिए हैं। और देखो, मैं दुनिया के इख़्तिताम तक हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।”


बल्कि यों दुआ किया करो, ऐ हमारे आसमानी बाप, तेरा नाम मुक़द्दस माना जाए।


क्योंकि सब कुछ उसी ने पैदा किया है, सब कुछ उसी के ज़रीए और उसी के जलाल के लिए क़ायम है। उसी की तमजीद अबद तक होती रहे! आमीन।


अल्लाह की तमजीद हो जो वाहिद दानिशमंद है। उसी का ईसा मसीह के वसीले से अबद तक जलाल होता रहे! आमीन।


हाँ, मसीह ईसा और उस की जमात में अल्लाह की तमजीद पुश्त-दर-पुश्त और अज़ल से अबद तक होती रहे। आमीन।


और यों आप उस रास्तबाज़ी के फल से भरे रहेंगे जो आपको ईसा मसीह के वसीले से हासिल होती है। फिर आप अपनी ज़िंदगी से अल्लाह को जलाल देंगे और उस की तमजीद करेंगे।


ख़ुदावंद ईसा मसीह का फ़ज़ल आपकी रूह के साथ रहे। आमीन।


हाँ, हमारे अज़लीओ-अबदी शहनशाह की हमेशा तक इज़्ज़तो-जलाल हो! वही लाफ़ानी, अनदेखा और वाहिद ख़ुदा है। आमीन।


उस वाहिद ख़ुदा यानी हमारे नजातदहिंदा का जलाल हो। हाँ, हमारे ख़ुदावंद ईसा मसीह के वसीले से उसे जलाल, अज़मत, क़ुदरत और इख़्तियार अज़ल से अब भी हो और अबद तक रहे। आमीन।


और जिसने हमें शाही इख़्तियार देकर अपने ख़ुदा और बाप के इमाम बना दिया है। उसे अज़ल से अबद तक जलाल और क़ुदरत हासिल रहे! आमीन।


उसी वक़्त एक शदीद ज़लज़ला आया और शहर का दसवाँ हिस्सा गिरकर तबाह हो गया। 7,000 अफ़राद उस की ज़द में आकर मर गए। बचे हुए लोगों में दहशत फैल गई और वह आसमान के ख़ुदा को जलाल देने लगे।


उसने ऊँची आवाज़ से कहा, “ख़ुदा का ख़ौफ़ मानकर उसे जलाल दो, क्योंकि उस की अदालत का वक़्त आ गया है। उसे सिजदा करो जिसने आसमानों, ज़मीन, समुंदर और पानी के चश्मों को ख़लक़ किया है।”


ऊँची आवाज़ से कह रहे थे, “लायक़ है वह लेला जो ज़बह किया गया है। वह क़ुदरत, दौलत, हिकमत और ताक़त, इज़्ज़त, जलाल और सताइश पाने के लायक़ है।”


और कहा, “आमीन! हमारे ख़ुदा की अज़ल से अबद तक सताइश, जलाल, हिकमत, शुक्रगुज़ारी, इज़्ज़त, क़ुदरत और ताक़त हासिल रहे। आमीन!”


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