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फ़िलिप्पियों 2:5 - किताब-ए मुक़द्दस

5 वही सोच रखें जो मसीह ईसा की भी थी।

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

5 वैसा ही मिज़ाज रखो जैसा मसीह ईसा का भी था;

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उर्दू हमअस्र तरजुमा

5 तुम्हारा मिज़ाज भी वैसा ही हो, जैसा अलमसीह ईसा का था:

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फ़िलिप्पियों 2:5
16 Cross References  

मेरा जुआ अपने ऊपर उठाकर मुझसे सीखो, क्योंकि मैं हलीम और नरमदिल हूँ। यों करने से तुम्हारी जानें आराम पाएँगी,


क्योंकि आम तौर पर कौन ज़्यादा बड़ा होता है, वह जो खाने के लिए बैठा है या वह जो लोगों की ख़िदमत के लिए हाज़िर होता है? क्या वह नहीं जो खाने के लिए बैठा है? बेशक। लेकिन मैं ख़िदमत करनेवाले की हैसियत से ही तुम्हारे दरमियान हूँ।


और आप जानते हैं कि अल्लाह ने ईसा नासरी को रूहुल-क़ुद्स और क़ुव्वत से मसह किया और कि इस पर उसने जगह जगह जाकर नेक काम किया और इबलीस के दबे हुए तमाम लोगों को शफ़ा दी, क्योंकि अल्लाह उसके साथ था।


अपने हर काम में मैं आपको दिखाता रहा कि लाज़िम है कि हम इस क़िस्म की मेहनत करके कमज़ोरों की मदद करें। क्योंकि हमारे सामने ख़ुदावंद ईसा के यह अलफ़ाज़ होने चाहिएँ कि देना लेने से मुबारक है।”


अगर आप अपने भाई को अपने किसी खाने के बाइस परेशान कर रहे हैं तो आप मुहब्बत की रूह में ज़िंदगी नहीं गुज़ार रहे। अपने भाई को अपने खाने से हलाक न करें। याद रखें कि मसीह ने उसके लिए अपनी जान दी है।


क्योंकि मसीह ने भी ख़ुद को ख़ुश रखने के लिए ज़िंदगी नहीं गुज़ारी। कलामे-मुक़द्दस में उसके बारे में यही लिखा है, “जो तुझे गालियाँ देते हैं उनकी गालियाँ मुझ पर आ गई हैं।”


अब साबितक़दमी और हौसला देनेवाला ख़ुदा आपको तौफ़ीक़ दे कि आप मसीह ईसा का नमूना अपनाकर यगांगत की रूह में एक दूसरे के साथ ज़िंदगी गुज़ारें।


इसी तरह मैं भी सबको पसंद आने की हर मुमकिन कोशिश करता हूँ। मैं अपने ही फ़ायदे के ख़याल में नहीं रहता बल्कि दूसरों के ताकि बहुतेरे नजात पाएँ।


मुहब्बत की रूह में ज़िंदगी यों गुज़ारें जैसे मसीह ने गुज़ारी। क्योंकि उसने हमसे मुहब्बत रखकर अपने आपको हमारे लिए अल्लाह के हुज़ूर क़ुरबान कर दिया और यों ऐसी क़ुरबानी बन गया जिसकी ख़ुशबू अल्लाह को पसंद आई।


यह ख़त मसीह ईसा के ग़ुलामों पौलुस और तीमुथियुस की तरफ़ से है। मैं फ़िलिप्पी में मौजूद उन तमाम लोगों को लिख रहा हूँ जिन्हें अल्लाह ने मसीह ईसा के ज़रीए मख़सूसो-मुक़द्दस किया है। मैं उनके बुज़ुर्गों और ख़ादिमों को भी लिख रहा हूँ।


आपको इसी के लिए बुलाया गया है। क्योंकि मसीह ने आपकी ख़ातिर दुख सहने में आपके लिए एक नमूना छोड़ा है। और वह चाहता है कि आप उसके नक़्शे-क़दम पर चलें।


अब चूँकि मसीह ने जिस्मानी तौर पर दुख उठाया इसलिए आप भी अपने आपको उस की-सी सोच से लैस करें। क्योंकि जिसने मसीह की ख़ातिर जिस्मानी तौर पर दुख सह लिया है उसने गुनाह से निपट लिया है।


जो कहता है कि वह उसमें क़ायम है उसके लिए लाज़िम है कि वह यों चले जिस तरह ईसा चलता था।


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