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फ़िलिप्पियों 2:14 - किताब-ए मुक़द्दस

14 सब कुछ बुड़बुड़ाए और बहस-मुबाहसा किए बग़ैर करें

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

14 सब काम शिकायत और तकरार बग़ैर किया करो,

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उर्दू हमअस्र तरजुमा

14 और सब काम किसी शिकायत और हुज्जत के बग़ैर ही कर लिया करो,

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फ़िलिप्पियों 2:14
36 Cross References  

वह अपने ख़ैमों में बुड़बुड़ाने लगे और रब की आवाज़ सुनने के लिए तैयार न हुए।


मग़रूरों में हमेशा झगड़ा होता है जबकि दानिशमंद सलाह-मशवरे के मुताबिक़ ही चलते हैं।


“यह शरीर जमात कब तक मेरे ख़िलाफ़ बुड़बुड़ाती रहेगी? उनके गिले-शिकवे मुझ तक पहुँच गए हैं।


इस पर वह ज़मीनदार के ख़िलाफ़ बुड़बुड़ाने लगे,


इसकी क़ीमत कम अज़ कम चाँदी के 300 सिक्के थी। अगर इसे बेचा जाता तो इसके पैसे ग़रीबों को दिए जा सकते थे।” ऐसी बातें करते हुए उन्होंने उसे झिड़का।


जब वह बाक़ी शागिर्दों के पास वापस पहुँचे तो उन्होंने देखा कि उनके गिर्द एक बड़ा हुजूम जमा है और शरीअत के कुछ उलमा उनके साथ बहस कर रहे हैं।


यह देखकर कुछ फ़रीसियों और उनसे ताल्लुक़ रखनेवाले शरीअत के आलिमों ने ईसा के शागिर्दों से शिकायत की। उन्होंने कहा, “तुम टैक्स लेनेवालों और गुनाहगारों के साथ क्यों खाते-पीते हो?”


इससे उनके और बरनबास और पौलुस के दरमियान नाइत्तफ़ाक़ी पैदा हो गई और दोनों उनके साथ ख़ूब बहस-मुबाहसा करने लगे। आख़िरकार जमात ने पौलुस और बरनबास को मुक़र्रर किया कि वह चंद एक और मक़ामी ईमानदारों के साथ यरूशलम जाएँ और वहाँ के रसूलों और बुज़ुर्गों को यह मामला पेश करें।


इससे उनमें इतना सख़्त इख़्तिलाफ़ पैदा हुआ कि वह एक दूसरे से जुदा हो गए। बरनबास यूहन्ना मरक़ुस को साथ लेकर जहाज़ में बैठ गया और क़ुबरुस चला गया,


बहुत बहस-मुबाहसा के बाद पतरस खड़ा हुआ और कहा, “भाइयो, आप जानते हैं कि अल्लाह ने बहुत देर हुई आपमें से मुझे चुन लिया कि ग़ैरयहूदियों को अल्लाह की ख़ुशख़बरी सुनाऊँ ताकि वह ईमान लाएँ।


उन दिनों में जब ईसा के शागिर्दों की तादाद बढ़ती गई तो यूनानी ज़बान बोलनेवाले ईमानदार इबरानी बोलनेवाले ईमानदारों के बारे में बुड़बुड़ाने लगे। उन्होंने कहा, “जब रोज़मर्रा का खाना तक़सीम होता है तो हमारी बेवाओं को नज़रंदाज़ किया जाता है।”


अपनी तरफ़ से पूरी कोशिश करें कि जहाँ तक मुमकिन हो सबके साथ मेल-मिलाप रखें।


जिसका ईमान कमज़ोर है उसे क़बूल करें, और उसके साथ बहस-मुबाहसा न करें।


भाइयो, मैं आपको ताकीद करता हूँ कि आप उनसे ख़बरदार रहें जो पार्टीबाज़ी और ठोकर का बाइस बनते हैं। यह उस तालीम के ख़िलाफ़ है जो आपको दी गई है। उनसे किनारा करें


और न बुड़बुड़ाएँ जिस तरह उनमें से बाज़ बुड़बुड़ाने लगे और नतीजे में हलाक करनेवाले फ़रिश्ते के हाथों मारे गए।


मुझे डर है कि जब मैं आऊँगा तो न आपकी हालत मुझे पसंद आएगी, न मेरी हालत आपको। मुझे डर है कि आपमें झगड़ा, हसद, ग़ुस्सा, ख़ुदग़रज़ी, बुहतान, गपबाज़ी, ग़ुरूर और बेतरतीबी पाई जाएगी।


अगर आप एक दूसरे को काटते और फाड़ते हैं तो ख़बरदार! ऐसा न हो कि आप एक दूसरे को ख़त्म करके सबके सब तबाह हो जाएँ।


न हम मग़रूर हों, न एक दूसरे को मुश्तइल करें या एक दूसरे से हसद करें।


ख़ुदग़रज़ न हों, न बातिल इज़्ज़त के पीछे पड़ें बल्कि फ़रोतनी से दूसरों को अपने से बेहतर समझें।


उनकी ख़िदमत को सामने रखकर प्यार से उनकी बड़ी इज़्ज़त करें। और एक दूसरे के साथ मेल-मिलाप से ज़िंदगी गुज़ारें।


इस पर ध्यान दें कि कोई किसी से बुराई के बदले बुराई न करे बल्कि आप हर वक़्त एक दूसरे और तमाम लोगों के साथ नेक काम करने में लगे रहें।


सबके साथ मिलकर सुलह-सलामती और क़ुद्दूसियत के लिए जिद्दो-जहद करते रहें, क्योंकि जो मुक़द्दस नहीं है वह ख़ुदावंद को कभी नहीं देखेगा।


क्योंकि इनसान का ग़ुस्सा वह रास्तबाज़ी पैदा नहीं करता जो अल्लाह चाहता है।


लेकिन ख़बरदार! अगर आप दिल में हसद की कड़वाहट और ख़ुदग़रज़ी पाल रहे हैं तो इस पर शेख़ी मत मारना, न सच्चाई के ख़िलाफ़ झूट बोलें।


भाइयो, एक दूसरे पर मत बुड़बुड़ाना, वरना आपकी अदालत की जाएगी। मुंसिफ़ तो दरवाज़े पर खड़ा है।


वह बुराई से मुँह फेरकर नेक काम करे, सुलह-सलामती का तालिब होकर उसके पीछे लगा रहे।


बुड़बुड़ाए बग़ैर एक दूसरे की मेहमान-नवाज़ी करें।


यह लोग बुड़बुड़ाते और शिकायत करते रहते हैं। यह सिर्फ़ अपनी ज़ाती ख़ाहिशात पूरी करने के लिए ज़िंदगी गुज़ारते हैं। यह अपने बारे में शेख़ी मारते और अपने फ़ायदे के लिए दूसरों की ख़ुशामद करते हैं।


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