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फ़िलिप्पियों 2:1 - किताब-ए मुक़द्दस

1 क्या आपके दरमियान मसीह में हौसलाअफ़्ज़ाई, मुहब्बत की तसल्ली, रूहुल-क़ुद्स की रिफ़ाक़त, नरमदिली और रहमत पाई जाती है?

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

1 पर अगर कुछ तसल्ली मसीह में और मुहब्बत की दिलजम'ई और रूह की शराकत और रहमदिली और — दर्द मन्दी है,

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उर्दू हमअस्र तरजुमा

1 पस अगर अलमसीह में तुम में तसल्ली और महब्बत से हौसला, और पाक रूह की रिफ़ाक़त में रहमदिली और हमदर्दी पाई जाती है,

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फ़िलिप्पियों 2:1
42 Cross References  

दाऊद का ज़बूर। ज़ियारत का गीत। जब भाई मिलकर और यगांगत से रहते हैं यह कितना अच्छा और प्यारा है।


मेरा दिल सरोद के मातमी सुर निकालकर मोआब के लिए नोहा कर रहा है, मेरी जान क़ीर-हरासत के लिए आहें भर रही है।


उस वक़्त यरूशलम में एक आदमी बनाम शमौन रहता था। वह रास्तबाज़ और ख़ुदातरस था और इस इंतज़ार में था कि मसीह आकर इसराईल को सुकून बख़्शे। रूहुल-क़ुद्स उस पर था,


मैं तुमको यतीम छोड़कर नहीं जाऊँगा बल्कि तुम्हारे पास वापस आऊँगा।


मैं तुम्हारे पास सलामती छोड़े जाता हूँ, अपनी ही सलामती तुमको दे देता हूँ। और मैं इसे यों नहीं देता जिस तरह दुनिया देती है। तुम्हारा दिल न घबराए और न डरे।


अब तो मैं तेरे पास आ रहा हूँ। लेकिन मैं दुनिया में होते हुए यह बयान कर रहा हूँ ताकि उनके दिल मेरी ख़ुशी से भरकर छलक उठें।


रोज़ाना वह यकदिली से बैतुल-मुक़द्दस में जमा होते रहे। साथ साथ वह मसीह की याद में अपने घरों में रोटी तोड़ते, बड़ी ख़ुशी और सादगी से रिफ़ाक़ती खाना खाते


ईमानदारों की पूरी जमात यकदिल थी। किसी ने भी अपनी मिलकियत की किसी चीज़ के बारे में नहीं कहा कि यह मेरी है बल्कि उनकी हर चीज़ मुश्तरका थी।


और उम्मीद हमें शरमिंदा होने नहीं देती, क्योंकि अल्लाह ने हमें रूहुल-क़ुद्स देकर उसके वसीले से हमारे दिलों में अपनी मुहब्बत उंडेली है।


इसी तरह रूहुल-क़ुद्स भी हमारी कमज़ोर हालत में हमारी मदद करता है, क्योंकि हम नहीं जानते कि किस तरह मुनासिब दुआ माँगें। लेकिन रूहुल-क़ुद्स ख़ुद नाक़ाबिले-बयान आहें भरते हुए हमारी शफ़ाअत करता है।


ख़ाह हम यहूदी थे या यूनानी, ग़ुलाम थे या आज़ाद, बपतिस्मे से हम सबको एक ही रूह की मारिफ़त एक ही बदन में शामिल किया गया है, हम सबको एक ही रूह पिलाया गया है।


भाइयो, मैं रोज़ाना मरता हूँ। यह बात उतनी ही यक़ीनी है जितनी यह कि आप हमारे ख़ुदावंद मसीह ईसा में मेरा फ़ख़र हैं।


क्या आपको मालूम नहीं कि आप अल्लाह का घर हैं, और आपमें अल्लाह का रूह सुकूनत करता है?


लेकिन ख़ुदा का शुक्र है! वही हमारे आगे आगे चलता है और हम मसीह के क़ैदी बनकर उस की फ़तह मनाते हुए उसके पीछे पीछे चलते हैं। यों अल्लाह हमारे वसीले से हर जगह मसीह के बारे में इल्म ख़ुशबू की तरह फैलाता है।


अब चूँकि आप उसके फ़रज़ंद हैं इसलिए अल्लाह ने अपने फ़रज़ंद के रूह को हमारे दिलों में भेज दिया, वह रूह जो “अब्बा” यानी “ऐ बाप” कहकर पुकारता रहता है।


रूहुल-क़ुद्स का फल फ़रक़ है। वह मुहब्बत, ख़ुशी, सुलह-सलामती, सब्र, मेहरबानी, नेकी, वफ़ादारी,


एक ही बदन और एक ही रूह है। यों आपको भी एक ही उम्मीद के लिए बुलाया गया।


अल्लाह मेरा गवाह है कि मैं कितनी शिद्दत से आप सबका आरज़ूमंद हूँ। हाँ, मैं मसीह की-सी दिली शफ़क़त के साथ आपका ख़ाहिशमंद हूँ।


क्योंकि हम ही हक़ीक़ी ख़तना के पैरोकार हैं, हम ही हैं जो अल्लाह के रूह में परस्तिश करते, मसीह ईसा पर फ़ख़र करते और इनसानी ख़ूबियों पर भरोसा नहीं करते।


मेरी कोशिश यह है कि उनकी दिली हौसलाअफ़्ज़ाई की जाए और वह मुहब्बत में एक हो जाएँ, कि उन्हें वह ठोस एतमाद हासिल हो जाए जो पूरी समझ से पैदा होता है। क्योंकि मैं चाहता हूँ कि वह अल्लाह का राज़ जान लें। राज़ क्या है? मसीह ख़ुद।


अल्लाह ने आपको चुनकर अपने लिए मख़सूसो-मुक़द्दस कर लिया है। वह आपसे मुहब्बत रखता है। इसलिए अब तरस, नेकी, फ़रोतनी, नरमदिली और सब्र को पहन लें।


ग़रज़, यह दो बातें क़ायम रही हैं, अल्लाह का वादा और उस की क़सम। वह इन्हें न तो बदल सकता न इनके बारे में झूट बोल सकता है। यों हम जिन्होंने उसके पास पनाह ली है बड़ी तसल्ली पाकर उस उम्मीद को मज़बूती से थामे रख सकते हैं जो हमें पेश की गई है।


ख़ुदा बाप ने आपको बहुत देर पहले जानकर चुन लिया और उसके रूह ने आपको मख़सूसो-मुक़द्दस कर दिया। नतीजे में आप ईसा मसीह के ताबे और उसके छिड़काए गए ख़ून से पाक-साफ़ हो गए हैं। अल्लाह आपको भरपूर फ़ज़ल और सलामती बख़्शे।


जो अल्लाह के अहकाम के ताबे रहता है वह अल्लाह में बसता है और अल्लाह उसमें। हम किस तरह जान लेते हैं कि वह हममें बसता है? उस रूह के वसीले से जो उसने हमें दिया है।


किसी ने भी अल्लाह को नहीं देखा। लेकिन जब हम एक दूसरे को प्यार करते हैं तो अल्लाह हमारे अंदर बसता है और उस की मुहब्बत हमारे अंदर तकमील पाती है।


और ख़ुद हमने वह मुहब्बत जान ली है और उस पर ईमान लाए हैं जो अल्लाह हमसे रखता है। अल्लाह मुहब्बत ही है। जो भी मुहब्बत में क़ायम रहता है वह अल्लाह में रहता है और अल्लाह उसमें।


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