केईनी कि मूं डर आ, कि किहींक्यै ऐहीं ना भुईया, कि आंउ अईछी करि तुहां तेतिया ना तकाउ, जेतिया आंउ तुहां तकांणा चांहथा जां मूं बि जेतिया तुवे ना चांहथै, तेतिया तकाईया। मूं डर आ कि तुहां मझ झगड़ै, योकिया केरा दुख, गुस्सा, स्वार्थ, चुगली कांनी जां उल्टै-सिधै कंम भुईया।