एैसो भओ कि जब उनोंरन ने उनहों बायरें काड़ो, तब कई, “अपने प्रान बचाकें गदबद लगा; पाछें कुदाऊं नें तकियो, और तराई भर में नें ठैरियो; ऊ पहड़वा पै भग जईयो, नईं तौ तें भी भसम हो जैहै।”
मालक ने ऊ अधरमी भण्डारी हां सराहो कि ऊ ने चतुराई से काम करो आय; कायसे ई संसार के मान्स अपनी बेरा के मान्सन के संग्गै रीत व्यवहारों में ज्योत के मान्सन से ज्यादा चतुर आंय।