18 ऊं सई तुम सोई खुस हो, और मोरे संग्गै खुसी मनाओ।
ईसें मैं बिन्तवारी करत आंव कि जौन परेसानी मोहां तुमाए काजें हो रई आय, उनसे तुम हिम्मत न हारौ, कायसे उनसे तुमाओ भलो हुईये।
तुमाए बिसवास जीमें तुम ने दुख उठाओ और मारे गए ऊके संग्गै मोहां मरने पड़ो तो मोहां आनन्द हुईये।
पिरभू ने मोहां जा आसा दई आय, कि मैं झट्टई तीमुथियुस हां तुम लौ पठैओं, कि तुमाए बारे में सुनके मोहां साजो लगे।
सो भईया हरौ, पिरभू में सुखी रओ: जे बातें तुम हां लिखे से मोहां कछु नईंयां, जे बातें तुमाए भले को आंय।
पिरभू में हमेसा खुस रओ; मैं फिन कैत आंव कि खुस रओ।