मैं तुम से कैत आंव; ऐई भांत एक हिया फेरबेवारे अधरमी के लाने सोई सरग में इतनी खुसी होत आय, जितनो के निन्नानबे ऐसे धरमियन के लाने नईं होत, जिन हां हिया फेरबे की जरूरत नईंयां।
कायसे बिलात जनें ऐसी चाल चलत आंय, जिन के लाने मैंने बेर बेर तुम से कई आय, और अब तो ऐसो कह के रोत आंव, कि बिलात जनें ऐसे चलत आंय मानो क्रूस के बैरी होबें।