सुरग में थारै खातर एक मोटो फळ है। थे बिं खातर भोत आनंद मनाइयो अर मन में राजी होईयो। क्यूंकै जिंया अब थानै लोग तंग करै है बिंयाई पेलां परमेसर गी बात बताण आळा नै बी तंग करया हा।”
थे सदां खुसी गै सागै रेवो क्यूंकै परमेसर आण आळै दिना में थारै पर के करै है बां पर पक्की उडीक राखो। जद कोई दुख आवै बिं टेम धीरज राखो अर सदां ई पराथना करता रेवो।
हे मेरा भाईयो अर भेनों, प्रभु थारै पर करेड़ी सारी बातां नै याद कर'गे खुसी में रेवो। मैं पेलां लिखेड़ी बात एकर फेर लिखूं क्यूंकै आ बात लिखण में मनै कोई दिकत कोनी अर आ बात थारै भलाई खातर है।