जहेमारे मए तुमसे बिन्ती करत हओं कि जो दुख तुमर ताहीं मोके हुइ रहो हए, उनके कारण हार मत् मानओ, बल्कि तुमके सम्मानित महसुस करनके चाहो, कि मए तुमर ताहीं जे बातन्को कष्ट सहनके तयार हओं।
जहेमारे हे मेरे बिश्वासी ददाभइयओ, तुम प्रभुमे हओ कहिके आनन्दीत रहाओ। जौन बात मए तुमके पहिले लिखो हओं, बेहीं बात तुमके घरी-घरी लिखनमे मोके कोइ झन्झट नाए लागत हए, और जब मए बेहीं बात तुमके घरी-घरी कहात हओं तओ जा बात तुमके झुठे गुरुनसे बचाएके धरैगो।